डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि भारतीय वन्य जीवन संस्थान टाइगर सेल के वैज्ञानिकों ने अचानकमार टाइगर रिजर्व द्वारा उपलब्ध कराए गए बाघिन के फोटोग्राफ का मध्य भारत के विभिन्न क्षेत्रों के टाइगर के डाटाबेस से मिलान किया गया। पेंच टाइगर रिजर्व की बाघिनो की धारियों के मिलान के आधार पर पुष्टि की गई। अचानकमार प्रबंधन ने चर्चा में बताया कि यह बाघिन टाइगर रिजर्व में वर्ष 2023 में शीत ऋतु के पूर्व से ही देखी जा रही है। वन्यजीव प्रेमियों के लिए यह अच्छी खबर है। बाघिन ने लगभग 400 किमी से अधिक दूरी तय कर अपना नया ठिकाना बना लिया है।
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वर्ष में दूसरी बार बाघों का बदला ठिकाना
वर्ष 2024 में दूसरी बार है जब एक टाइगर रिजर्व से दूसरे में कोई बाघिन या बाघ ने अपना नया ठिकाना बनाया है। फरवरी 2024 में बालाघाट जिले के लालबर्रा के जंगल (कान्हा टाइगर रिजर्व) के बाघ ने पेंच टाइगर रिजर्व के रूखड़ परिक्षेत्र में अपना नया ठिकाना बनाया। महकमे के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बाघ को ‘बाजीराव’ नाम दिया। नवंबर 2023 से उक्त क्षेत्र में उसे देखा जा रहा है। पेंच टाइगर रिजर्व अमले की माने तो रूखड़ परिक्षेत्र का इलाका ‘कुरईगढ़’ बाघ का था। बाघ ने कई चरवाहों पर हमला कर उनको मौत के घाट उतार दिया था। आठ नवंबर 2023 को ‘कुरईगढ़’ बाघ को यहां से लिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद से ही उक्त क्षेत्र में ‘बाजीराव’ की धमक शुरू हुई। यह क्षेत्र मेल बाघ के लिए उपयुक्त बताया जाता है। यहां बाघिन की संख्या अधिक होने के साथ शिकार भी बाघ को आसानी से मिल जाता है। ऐसे में यहां कई बाघों ने ठिकाना बनाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता ‘बाजीराव’ को मिली।
इनका कहना है..
वन्य जीव प्रेमियों के लिए यह हर्ष एवं गौरव का क्षण है। बाघिन ने लगभग 400 किमी से अधिक दूरी तय की और अपने नया ठिकाना बनाया है। इससे आमजन को कॉरीडोर के संरक्षण की आवश्यकता एवं महत्व को समझाने मेे मदद मिलेगी।रजनीश सिंह, डिप्टी डायरेक्टर, पेंच टाइगर रिजर्व