वॉटर स्पोट्र्स का आनंद
गंगरेल बांध में वॉटर स्पोट्र्स के अंतर्गत पैरासीलिंग, प्लायबोर्ड, ऑकटेन, जार्बिन बॉल, पीडब्ल्यूसी बाइक, बनाना राईड, सौ सीटर शिप, वॉटर सायकल, कयाक, पायडल बोट्स आदि का लुत्फ सैलानी भी उठा रहे हैं।
आवागमन का सुगम साधन
गंगरेल बांध ऐसी जगह स्थित है, जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। रायपुर, बालोद, दुर्ग, जगदलपुर समेत अन्य मार्गों से आने वाले सैलानियों के लिए साधन उपलब्ध रहता है। बस स्टैंड और जोधापुर चौक से बस, आटो का आना-जाना दिनभर गंगरेल तक लगा रहता है। किराया भी बहुत कम है। आना-जाना सिर्फ 20 रुपए में हो जाता है।
जर्मन लकड़ी से बना वुडन हर्ट
यहां लाखों रुपए खर्च कर वुडन हर्ट बनाया गया है। यहां जर्मन लकड़ी से 12 कॉटेज और रेस्टोरेंट बनाया गया है, जिसका लाभ भी सैलानी उठा रहे हंै। स्वदेश दर्शन योजना के तहत् ट्रायबल टूरिज्म सर्किट में प्रदेश के जशपुर-कुनकुरी-मैनपाट-कमलेश्वरपुर-महेशपुर-कुरदर-सरोधादादर-गंगरेल-कोंडागांव-नथियानवागांव-जगदपुर-चित्रकोट-तीरथगढ़ सहित 13 प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ा जाएगा। परियोजना के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा 99 करोड़ रुपए मंजूर किया हैं। इन पर्यटन केन्द्रों में एथनिक टूरिस्ट डेस्टिनेशन डेवलपमेंट के अंतर्गत लॉग हट्स, कैफेटेरिया, गार्डन, पगोड़ा, पार्किंग एवं वॉटर स्पोट्र्स विकसित किया जाएगा।
लुभा रहा नरहरा जलप्रपात
धमतरी जिला मुख्यालय से नरहरा झरना 36 किमी दूर है। कुकरेल से बनबगौद, झुरातराई, कोटरवाही होते हुए 5 किमी दूर जंगल के रास्ते से नरहरा पहुंचते हैं। बीच में लगभग 3 किमी तक मुरूम बिछाई गई है। घने जंगल से होकर झरना तक लोग पहुंच रहे हैं। यहां सैलानियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए जिला पंचायत द्वारा इसे मनरेगा योजना के तहत पिकनिक स्पॉट बनाने सुविधाएं जुटाना शुरू कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि नरहरा धाम में झरना के ठीक पीछे गुफा के अंदर नरहरेश्वरी माता की मूर्ति स्थापित है। मंदिरनुमा इस गुफा की छत चट्टान से आच्छादित है। ग्रामीण इसे वनदेवी भी कहते हैं।