रायपुर

ये है छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा, देशभर से लोग पहुंच रहे वीकेंड को मजेदार बनाने

यहां वाटर स्पोटर्स के अलावा एडवेंचर भी है। श्रद्धालुओं के लिए मां अंगारमोती मंदिर भी है। यहां चारों तरफ फैली हरियाली पर्यटकों को काफी रोमांचित कर रही है।

रायपुरMar 03, 2020 / 01:31 am

bhemendra yadav

ये है छत्तीसगढ़ का मिनी गोवा, देशभर से लोग पहुंच रहे वीकेंड को मजेदार बनाने

धमतरी. पर्यटन की दृष्टि से अब गंगरेल बांध क्षेत्र तेजी से उभरने लगा है। यहां वाटर स्पोटर्स के अलावा एडवेंचर भी है। श्रद्धालुओं के लिए मां अंगारमोती मंदिर भी है। यहां चारों तरफ फैली हरियाली पर्यटकों को काफी रोमांचित कर रही है। छत्तीसगढ़ के अलावा अब अन्य प्रदेशों से भी बड़ी तादात में सैलानी यहां के नजारों का लुत्फ उठाने के लिए पहुंच रहे हैं। उनका कहना है कि यहां आने पर जन्नत की तरह खूबसूरत नजारों का दीदार होता है। आंखों को सुकून और दिल को करार मिल जाता है।
जिला मुख्यालय से 8 किमी की दूरी पर गंगरेल बांध हैं, जो महानदी पर बना हुआ है। इसका निर्माण 1978 में हुआ है। लबालब पानी भरने पर 14 गेट के माध्यम से महानदी में पानी छोड़ा जाता है। बांध के पूर्व दिशा में बड़े-बड़े पहाड़ है, जो हरियाली से अच्छादित है।
पहले यहां पर्यटन की दृष्टि से कुछ भी नहीं था। सैलानी सिर्फ बांध को देखकर लौट जाते थे, लेकिन कुछ सालों में यहां काफी बदलाव आया है। अब तो बांधों के एक किनारे से दूसरे किनारे तक ट्यूबलर लाइट लग गई है। इसके अलावा सुंदर गार्डन का निर्माण भी किया गया है। यहां ठहरने के लिए मोटल भी बनाया गया है। इसलिए बांध और उसके चारों तरफ की प्राकृतिक नजरों को आंखों में कैद करने के लिए देश के अलावा विदेेशों से भी सैलानी भी बड़ी संख्या में हर साल आते हैं। 32 टीएमसी की क्षमता वाले बांध के ऊपर से जब पानी छलकने लगता है, तो सैलानी रोमांचित हो जाते हैं।

वॉटर स्पोट्र्स का आनंद
गंगरेल बांध में वॉटर स्पोट्र्स के अंतर्गत पैरासीलिंग, प्लायबोर्ड, ऑकटेन, जार्बिन बॉल, पीडब्ल्यूसी बाइक, बनाना राईड, सौ सीटर शिप, वॉटर सायकल, कयाक, पायडल बोट्स आदि का लुत्फ सैलानी भी उठा रहे हैं।

आवागमन का सुगम साधन
गंगरेल बांध ऐसी जगह स्थित है, जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। रायपुर, बालोद, दुर्ग, जगदलपुर समेत अन्य मार्गों से आने वाले सैलानियों के लिए साधन उपलब्ध रहता है। बस स्टैंड और जोधापुर चौक से बस, आटो का आना-जाना दिनभर गंगरेल तक लगा रहता है। किराया भी बहुत कम है। आना-जाना सिर्फ 20 रुपए में हो जाता है।

जर्मन लकड़ी से बना वुडन हर्ट
यहां लाखों रुपए खर्च कर वुडन हर्ट बनाया गया है। यहां जर्मन लकड़ी से 12 कॉटेज और रेस्टोरेंट बनाया गया है, जिसका लाभ भी सैलानी उठा रहे हंै। स्वदेश दर्शन योजना के तहत् ट्रायबल टूरिज्म सर्किट में प्रदेश के जशपुर-कुनकुरी-मैनपाट-कमलेश्वरपुर-महेशपुर-कुरदर-सरोधादादर-गंगरेल-कोंडागांव-नथियानवागांव-जगदपुर-चित्रकोट-तीरथगढ़ सहित 13 प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ा जाएगा। परियोजना के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा 99 करोड़ रुपए मंजूर किया हैं। इन पर्यटन केन्द्रों में एथनिक टूरिस्ट डेस्टिनेशन डेवलपमेंट के अंतर्गत लॉग हट्स, कैफेटेरिया, गार्डन, पगोड़ा, पार्किंग एवं वॉटर स्पोट्र्स विकसित किया जाएगा।

लुभा रहा नरहरा जलप्रपात
धमतरी जिला मुख्यालय से नरहरा झरना 36 किमी दूर है। कुकरेल से बनबगौद, झुरातराई, कोटरवाही होते हुए 5 किमी दूर जंगल के रास्ते से नरहरा पहुंचते हैं। बीच में लगभग 3 किमी तक मुरूम बिछाई गई है। घने जंगल से होकर झरना तक लोग पहुंच रहे हैं। यहां सैलानियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए जिला पंचायत द्वारा इसे मनरेगा योजना के तहत पिकनिक स्पॉट बनाने सुविधाएं जुटाना शुरू कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि नरहरा धाम में झरना के ठीक पीछे गुफा के अंदर नरहरेश्वरी माता की मूर्ति स्थापित है। मंदिरनुमा इस गुफा की छत चट्टान से आच्छादित है। ग्रामीण इसे वनदेवी भी कहते हैं।

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