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फिल्म निर्माता-निर्देशक मनोज वर्मा के मुताबिक यह फिल्म लेखक संजीव बख्शी के उपन्यास ‘भूलन कांदा’ पर आधारित है। ‘भूलन कांदा’ छत्तीसगढ़ के जंगल में पाई जाने वाली ऐसी वनस्पति है, जिस पर पैर रखने से कोई व्यक्ति अपना सुध-बुध खो बैठता है और जब तक कोई उसे याद न दिलाए उसकी याददाश्त वापस नहीं आती। यह सामाजिक व्यवस्थाओं के अंतर पर आधारित फिल्म है।
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भूपेश कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया कि छत्तीसगढ़ में निर्मित राष्ट्रीय अवॉर्ड प्राप्त फिल्म को प्रोत्साहन अनुदान दिया जाएगा। इसके तहत केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से प्राइम कैटेगरी में राष्ट्रीय अवॉर्ड प्राप्त करने वाली छत्तीसगढ़ी पृष्ठभूमि की सर्वोत्तम फिल्म, सर्वोत्तम निर्देशक, सर्वोत्तम अभिनेता, सर्वोत्तम अभिनेत्री, राष्ट्रीय एकता अथवा सामाजिक संदेश आदि मापदंड हेतु अधिकतम एक करोड़ रुपए की राशि (किसी भी एक कैटेगरी में तथा वर्ष में एक बार) अतिरिक्त अनुदान का प्रावधान किया गया है।
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केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने वर्ष 2021 में घोषित 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के अंतर्गत ‘भूलन द मेज’ को क्षेत्रीय भाषा छत्तीसगढ़ी की श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया है। भूपेश कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार ‘भूलन द मेज’ वर्ष 2021 के लिए एक करोड़ रुपए प्रोत्साहन अनुदान की पात्रता होगी।
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