दो राज्यों में रद्द हो चुकी है रोक
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से पहले उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी मीसाबंदियों के सम्मान निधि में रोक लगाई गई थी। इस निर्णय के खिलाफ मीसाबंदियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। उस समय इलाहाबाद और राजस्थान हाइकोर्ट ने मीसाबंदियों के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था।
मुख्यमंत्री बघेल के चाचा को भी मिल रही थी सम्मान निधि
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चाचा ईश्वर बघेल को भी भी सम्मान निधि मिल रही थी। इसके अलावा कांग्रेस के दो नेता कुरुद विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सोमप्रकाश गिरी और सरदारी लाल गुप्ता का नाम शामिल है। हालांकि गिरी 1990 में भाजपा से चुनाव लडकऱ विधायक बने थे और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वहीं गुप्ता जनसंघ से जुड़े हुए थे। बाद में वे भी कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
गलत जानकारी देने पर वसूल सकते हैं राशि
2008 में मीसाबंदियों को सम्मान निधि देने के लिए मंत्रियों की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की गई थी। जिला मजिस्ट्रेट को इसका सचिव और जिला पुलिस अधीक्षक और जिला जेल अधीक्षक इसके सदस्य थे। नियम में यह प्रावधान है कि यदि कोई गलत जानकारी देकर सम्मान निधि प्राप्त करता है, तो उससे सम्मान निधि की वसूली की जा सकती है।
ऐसे बढ़ती गई मीसाबंदियों की पेंशन
– 5 अगस्त 2008 को भाजपा सरकार ने 6 माह से कम जेल में रहने वालों को 3 हजार और 6 माह से अधिक जेल में रहने वाले मीसा बंदियों को 6 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन देने का फैसला लिया था।
– 21 फरवरी 2013 को राज्य सरकार ने मीसाबंदियों के दवाब के बाद 3 हजार की जगह 10 हजार रुपए और 6 हजार की जगह 15 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन देने का निर्णय लिया।
– 26 दिसम्बर 2013 को सरकार ने एक माह से कम अवधि के लिए भी जेल में निरुद्ध रहने वाले मीसाबंदियों को भी 5 हजार रुपए प्रतिमाह देने का फैसला लिया।
– 1 मार्च 2017 को रमन सरकार ने मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा देते हुए 5 हजार की निधि को बढ़ाकर 10 हजार, 10 हजार की निधि को बढ़ाकर 15 हजार और 15 हजार की निधि को बढ़ाकर 25 हजार रुपए प्रतिमाह कर दिया।