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रायपुर

यूपी और राजस्थान के बाद अब यहां भी लगी मीसाबंदियों की पेंशन पर रोक

सरकार ने आपातकाल के विरोध की वजह से जेल में बंद हुए मीसाबंदियों की पेंशन पर रोक लगा दी है

रायपुरJan 30, 2019 / 08:56 am

Deepak Sahu

misa bandi

यूपी और राजस्थान के बाद अब यहां भी लगी मीसाबंदियों की पेंशन पर रोक

रायपुर. छत्तीसगढ़ सरकार ने आपातकाल के विरोध की वजह से जेल में बंद हुए मीसाबंदियों की पेंशन पर रोक लगा दी है। सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव रीता शांडिल्य ने कलक्टरों को निर्देश जारी कर फरवरी से सम्मान निधि वितरण रोकने को कहा है। सरकार का तर्क है, सम्मान निधि पाने वालों का भौतिक सत्यापन व सम्मान निधि के भुगतान प्रक्रिया को फिर से निर्धारित करना जरूरी है।
परिपत्र के मुताबिक भौतिक सत्यापन के लिए सामान्य प्रशासन विभाग अलग से निर्देश जारी करेगा। सरकार के फैसले से प्रदेश के करीब 300 मीसाबंदियों को मिलने वाली पेंशन रुक जाएगी। मध्यप्रदेश सरकार पहले ही मीसाबंदियों को मिलने वाली पेंशन रोक चुकी है। भाजपा सरकार ने 2008 में मीसाबंदियों को सम्मान निधि के रूप में पेंशन देना शुरू किया था।
इन्हें माना जाता है मीसाबंदी : तत्कालीन प्रधानमंत्री इदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 से 31 मार्च ,1977 तक देश में आपातकाल लगाया था। नागरिकों के मौलिक अधिकार को निलंबित कर दिया गया था। राजनीतिक विपक्ष और आपातकाल का विरोध करने वालों को मीसा (आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम) और डीआइआर (डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स) के तहत जेल में बंद कर दिया गया। बाद की जनता पाटी और भाजपा की सरकारों ने इन्हीं लोगों को मीसाबंदी के तौर पर सम्मान निधि देने की शुरुआत की।

दो राज्यों में रद्द हो चुकी है रोक
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से पहले उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी मीसाबंदियों के सम्मान निधि में रोक लगाई गई थी। इस निर्णय के खिलाफ मीसाबंदियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। उस समय इलाहाबाद और राजस्थान हाइकोर्ट ने मीसाबंदियों के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था।

मुख्यमंत्री बघेल के चाचा को भी मिल रही थी सम्मान निधि
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चाचा ईश्वर बघेल को भी भी सम्मान निधि मिल रही थी। इसके अलावा कांग्रेस के दो नेता कुरुद विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सोमप्रकाश गिरी और सरदारी लाल गुप्ता का नाम शामिल है। हालांकि गिरी 1990 में भाजपा से चुनाव लडकऱ विधायक बने थे और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। वहीं गुप्ता जनसंघ से जुड़े हुए थे। बाद में वे भी कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

गलत जानकारी देने पर वसूल सकते हैं राशि
2008 में मीसाबंदियों को सम्मान निधि देने के लिए मंत्रियों की अध्यक्षता में चार सदस्यीय समिति गठित की गई थी। जिला मजिस्ट्रेट को इसका सचिव और जिला पुलिस अधीक्षक और जिला जेल अधीक्षक इसके सदस्य थे। नियम में यह प्रावधान है कि यदि कोई गलत जानकारी देकर सम्मान निधि प्राप्त करता है, तो उससे सम्मान निधि की वसूली की जा सकती है।

लोकतंत्र प्रहरी संघ के राष्ट्रीय संयोजक सच्चिदानंद उपासने ने बताया कि सरकार के सत्यापन कार्य में हम सहयोग करेंगे, लेकिन सत्यापन की समय-सीमा तय होनी चाहिए। यदि सरकार की नीयत में खोट नहीं है, तो सम्मान निधि को बंद किए बिना भी सत्यापन किया जा सकता है। यदि कोई गलत जानकारी देता है, तो उसे सम्मान निधि की राशि वसूल करने का नियम पहले से ही है।

ऐसे बढ़ती गई मीसाबंदियों की पेंशन
– 5 अगस्त 2008 को भाजपा सरकार ने 6 माह से कम जेल में रहने वालों को 3 हजार और 6 माह से अधिक जेल में रहने वाले मीसा बंदियों को 6 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन देने का फैसला लिया था।
– 21 फरवरी 2013 को राज्य सरकार ने मीसाबंदियों के दवाब के बाद 3 हजार की जगह 10 हजार रुपए और 6 हजार की जगह 15 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन देने का निर्णय लिया।
– 26 दिसम्बर 2013 को सरकार ने एक माह से कम अवधि के लिए भी जेल में निरुद्ध रहने वाले मीसाबंदियों को भी 5 हजार रुपए प्रतिमाह देने का फैसला लिया।
– 1 मार्च 2017 को रमन सरकार ने मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा देते हुए 5 हजार की निधि को बढ़ाकर 10 हजार, 10 हजार की निधि को बढ़ाकर 15 हजार और 15 हजार की निधि को बढ़ाकर 25 हजार रुपए प्रतिमाह कर दिया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया कि मीसा बंदी कोई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नहीं हैं। सम्मान निधि तो केवल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को मिलनी चाहिए।

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