फूलों के रंगों से करती हैं पेंटिंग
दिलबसिया और रामकेली कपड़ो पर गोदना पेंटिंग्स करने में हर्बल कलर का यूज करती हैं। इसे बनाने के लिए वे जंगलों में उगने वाले फूलों के रंग को मिक्स करके डिजाइनिंग में इस्तेमाल करती हैं। रामकेली ने बताया कि वे धमई, फरसा, खैरखसाली, रईना बकला, भेलवा आदि फूलों का प्रयोग गोदना के लिए करती हैं। इनसे बनने बाले रंग इतने पक्के होते हैं कि धोने पर भी कपड़े से नहीं निकलते। इस रंग को किसी भी कपड़े चाहे वह कॉटन हो, सिफॉन या चंदेरी सभी पर कलरिंग कर सकते हैं। इन साडि़यों की कीमत तीन हजार रूपए से लेकर दस हजार रूपए तक है।
साथी गोदना है सबसे खास
दिलबसिया ने बताया कि आदिवासियों में गोदना सबसे प्रिये श्रृंगार माना जाता है, लेकिन सबसे खास ‘साथी गोदनाÓ को माना जाता है। इमें चारपाई डिजाइन पर कई आकृति बनी होती है। कहा जाता है कि यह गोदना मरने के बाद भी अपने साथ जाता है। इसलिए इसे साथी गोदना कहा जाता है।
एेसे बनता है रंग
काला रंग – हर्र-बहेड़ा और भेलवानारंगी – धवई और फरसाकत्था
– खैरखसाली और रईना बकला
नवरंगी – पलास के फूल ये आर्ट हैं खास
पैरी गोदना
धंधा जट
कोहणा
मछली गोदना
कोला और भंवरा
माछी गोदना
फुलवारी
पोथी आदि।
ये है टीम में सदस्यदिलबसिया पावले की टीम में सुमित्रा मरकाम, सुनीता पावले, देवकी, खुशबु और अनीता रजवाड़े आदि शामिल हैं।