Chhattisgarh Fesvtival: चित्रोत्पला लोक कला परिषद द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की परिकल्पना और संयोजन लोक कलाकार राकेश तिवारी ने किया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोक कलाकार डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर और हेमलाल पटेल 15 अगस्त को माता कौशल्या को तीज पर्व पर अयोध्या से लाने के लिए रवाना होंगे। यह आयोजन पिछले साल की सफलता को देखते हुए दूसरी बार किया जा रहा है, जिसमें युवाओं की भागीदारी और उत्साह विशेष रूप से देखने को मिल रही है।
परंपरा का निर्वाह और नया उत्साह
चंदखुरी में पंडवानी गायिका प्रभा यादव ने जाने से पहले अंगाकर रोटी और गुड़ देकर विदा किया, जो छत्तीसगढ़ की परंपरा का एक हिस्सा है। वहां से अयोध्या की पवित्र मिट्टी लाई जाएगी, जिससे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मूर्तिकार पीलू साहू द्वारा माता कौशल्या और बाल रूप में भगवान श्रीराम की मूर्ति बनाई जाएगी। इस मूर्ति को 3 सितंबर से 7 सितंबर के बीच ग्राम चंदखुरी में स्थापित किया जाएगा।युवाओं के लिए सांस्कृतिक प्रेरणा
इस आयोजन का उद्देश्य केवल परंपरा को निभाना ही नहीं, बल्कि इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना भी है। युवाओं के बीच बढ़ते उत्साह को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस प्रकार के आयोजन न केवल संस्कृति के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनते हैं। अयोध्या जाने वालों में प्रभा यादव, राकेश तिवारी, अशोक तिवारी, मनीष लदेर, सुरेश ठाकुर, नीतेश यादव, घसीया राम वर्मा, तनु यादव सहित चंदखुरी के ग्रामीण भी थे।आयोजन की रूपरेखा
17 अगस्त: अयोध्या के राजा दशरथ से अनुमति प्राप्त कर पवित्र मिट्टी ग्रहण करना।
18 अगस्त: रायपुर वापस आना और स्वागत सत्कार।
19 अगस्त: पवित्र मिट्टी को मूर्तिकार पीलू साहू को सौंपना।
2 सितंबर: मूर्ति को बाजा-गाजा के साथ चंदखुरी ले जाना।
3 सितंबर: मूर्ति की स्थापना, पूजा-पाठ और आरती।
4 सितंबर: नांदिया बैला चलाना और जांता पीसने का प्रदर्शन।
5 सितंबर: माता कौशल्या को करू भात खिलाना।
6 सितंबर: भजन, कीर्तन, पंडवानी और भरथरी का प्रदर्शन।
7 सितंबर: माता कौशल्या को लुगरा भेंट और तिझारिन महिलाओं के साथ बासी खाना, शाम को माता की विदाई।