Raipur Dam News: आषाढ़ का महीना हमेशा छत्तीसगढ़ के लिए बारिश की उम्मीदें लेकर आता है, लेकिन इस बार हालात अलग हैं। आषाढ़ बीतने को है और प्रदेश के अधिकतर जलाशय खाली हैं। कई जलाशय तो डेड लेबल पर हैं। अल्पवर्षा के कारण कई जलाशयों में अब तक पानी की धार भी पहुंचनी शुरू नहीं हुई है। वहीं पिछले साल से तुलना करें तो इस दौरान न सिर्फ जलाशय लबालब हो गए थे बल्कि नदियों में पानी छोडऩे की स्थिति बन गई थी।
जलसंसाधन विभाग के मंगलवार तक के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के महत्वपूर्ण 46 बांधों में पानी का भराव सिर्फ 32 प्रतिशत है, जबकि पिछले साल आज की तारीख में 62.60 प्रतिशत भराव था। खंड वर्षा के कारण कई जगह हालात बहुत खराब हैं। रायपुर समेत आसपास के जिलों की प्यास बुझाने वाले गंगरेल बांध में तो सिर्फ 4.83 प्रतिशत पानी बचा है। इसी तरह दुर्ग-भिलाई की प्यास बुझाने वाले तांदुला में सिर्फ 5.82 फीसदी पानी बचा है। यहां जमीन दिखने लगी है। कम बारिश का असर नदी-नालों और जलाशयों पर पड़ रहा है।
15 दिन बारिश नहीं तो जलसंकट तय
अधिकतर जलाशय खाली हैं। स्थिति यह है कि पीने के लिए पानी तक नहीं निकाला जा सकता। ऐसे में अगले 20 दिन बारिश नहीं हुई तो संकट खड़ा हो जाएगा। मैदानी इलाकों के भाठा व अपलैंड में खेत सूखने लगे हैं। दुर्ग जिले के अंजोरा के किसान भरत साहू ने बताया कि उनके पास करीब 11 एकड़ खेत है। इनके कुछ हिस्से मैदान से लगे हैं। जल्द अच्छी बारिश नहीं हुई तो यहां बियासी संभव नहीं होगी और फसल बर्बाद हो जाएगी। यही स्थिति प्रदेश के कई हिस्सों की है। यहां वर्ष 2000 से 2023 तक छत्तीसगढ़ में बांधों और जलाशयों की संख्या दर्शाने वाला चार्ट दिया गया है। आंकड़े इस अवधि में बांधों और जलाशयों दोनों में लगातार वृद्धि दर्शाते हैं।
Chhattisgarh Dam News: फसल को यह खतरा
- मैदानी इलाकों में धूप व गर्मी के कारण फसल सूखने की नौबत आ रही है।
- कई क्षेत्र में रोपा पद्धति से खेती की जाती है। जिनके पास खुद का ट्यूबवेल है, उनको छोड़कर शेष रोपाई का काम शुरू नहीं कर पाए है।
- प्रदेश के कई जिलों में किसान सोयाबीन की खेती करते हैं। पानी के कमी के कारण बीजों में अंकुरण नहीं हो रहा है।
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Dam News: बारिश में देरी से यह नुकसान
पैदावार होगी प्रभावित – सामान्य स्थिति में इस समय तक बियासी व रोपाई का काम पूरा हो जाना चाहिए। ऐसे में पैदावार प्रभावित होगा। पानी का संकट -जलाशयों के साथ कुएं व तालाब भी नहीं भरे हैं। नदी-तालाबों में जलभराव नहीं होने से भू-जल स्रोत गिरेगा। सिर्फ गंगरेल डैम और तांदुला में थोड़ी समस्या है। गंगरेल में भले 5 प्रतिशत पानी दिख रहा है लेकिन उसके फीडर टैंक जैसे सोंढूर में 14 प्रतिशत पानी है। दुधावा में 13 प्रतिशत पानी है। अभी चिंता करने वाली स्थिति नहीं है। अभी जितना पानी है, वह कम से कम अगले 20 दिनों की जरूरत पूरी कर देगा। मौसम विभाग ने भी अलर्ट दिया है कि कुछ दिनों में काफी बारिश होने वाली है। कैचमेंट एरिया में रह-रहकर बारिश हो रही है। इससे लगातार बांधों में पानी आ रहा है। महानदी से गंगरेल के कैचमेंट में 242 एमएम पानी आ चुका है। अभी पिक सीजन नहीं चल रहा है। मानसून आ गया है। पानी की जरूरत कम हो गई है। लॉसेस भी कम हो जाता है। बारिश कम हुई है लेकिन आने वाले एक सप्ताह में स्थिति ठीक हो जाएगी।
जयंत बिसेन, डिप्टी डायरेक्टर, जलसंसाधन विभाग
जयंत बिसेन, डिप्टी डायरेक्टर, जलसंसाधन विभाग
ये हैं बांधों की स्थिति
बांध – वर्तमान – 2023 – 2022बांगो – 44.35 – 70.10 – 52.30
गंगरेल – 4.83 – 53.67 – 85.77
तांदुला – 5.82 – 65.46 – 48.13
दुधावा – 17.09 – 67.18 – 30.55
सिकासेर – 33.53 – 62.05 – 51.89
सोंढूर – 15.05 – 60.70 – 27.17
मुरुमसिल्ली – 3.09 – 2.72 – 34.25
कोडार – 10.54 – 35.45 – 19.38
खरखरा – 20.90 – 81.63 – 54.17
कोसारटेडा 25.09 36.86 92.64
(जलभराव प्रतिशत में। आज की तारीख में वर्ष 2023 और 2022 में जलभराव)