CG Congress Meeting: छत्तीसगढ़ कांग्रेस के इतिहास में पहली बार आत्ममंथन के लिए पार्टी के किसी पूर्व मुख्यमंत्री को अपनी रायशुमारी देने के लिए दिल्ली से भेजा गया था। इस हाईप्रोफाइल आत्ममंथन में छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली ने पार्टी के लोकसभा प्रत्याशियों और संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ गूढ़ चर्चा के उपरांत यह निष्कर्ष निकाला कि पूरे चुनाव के दौरान पार्टी में गुटबाजी हावी रही।
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आत्ममंथन में यह बात भी सामने आई कि टिकट नहीं मिलने से नाराज बहुत से दावेदारों और अपनी सिफारिशों के खारिज होने से गुस्साए बड़े नेताओं ने भितरघात करने से गुरेज नहीं की। बहुत से बड़े नेताओं की चुनाव प्रचार के दौरान असमान्य तटस्थता और बेरुखी से भी पार्टी को बहुत नुकसान उठाना पड़ा।CG Congress Meeting: हार की वजह कार्यकर्ताओं में निराशा थी…
एक तरह से सारा ठीकरा प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं पर फोड दिया गया। वहीं, बैठक में यह बात भी उठी कि विधानसभा चुनाव में हार की वजह से कार्यकर्ताओं में निराशा थी। इसका लोकसभा चुनाव में भी नुकसान उठाना पड़ा। उस समय सत्ता और संगठन के बीच तालमेल नहीं था। लोकसभा चुनाव संसाधनों की भारी कमी रही। यह भी कहा गया कि भाजपा ने ध्रुवीकरण और राम मंदिर के मुद्दे की वजह से भी नुकसान हुआ। बैठक की शुरुआत में ही मोईली ने एक-दूसरे के खिलाफ नकारात्मक बातें नहीं करने की नसीहत दे दी थी। इसके बाद बैठक में हार के कारणों पर चर्चा हुई। बैठक से पहले मीडिया से चर्चा में मोइली ने कहा था कि कमेटी प्रदेश संगठन को मजबूत करने के लिए सुझाव देगी, ताकि आने वाले चुनाव में अच्छा कर सके। सामूहिक बैठक खत्म होने के बाद एक-एक कर प्रत्याशियों से चर्चा की गई।
सबसे पहले पूर्व सीएम भूपेश बघेल से बात की गई। वहीं, कांग्रेस प्रदेश प्रभारी पायलट ने कांग्रेस में आपसी गुटबाजी के सवाल पर कहा, कांग्रेस में कहीं भी आपसी गुटबाजी नहीं है। आने वाले चुनाव की तैयारी अब कांग्रेस शुरू करने वाली है। बैठक में कमेटी के सदस्य राजस्थान के पूर्व मंत्री हरीश चौधरी और प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिव चंदन यादव भी थे।
जांच के बिना कांग्रेस नेताओं को बना दिया आरोपी: पायलट बैठक के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए प्रदेश प्रभारी पायलट ने कहा, लोकसभा चुनाव में पूरी ताकत से लड़ा। हम थोड़ा पीछे हो गए, लेकिन मतदाता हमारे साथ है। पांच महीने में राज्य सरकार कोई भी छाप नहीं छोड़ पाई। लगातार हिंसा हो रही है। हिंसा होने के बाद कार्रवाई होने की जगह कांग्रेसी नेताओं को टारगेट किया जा रहा है।
हिंसा की जड़ तक जाकर दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन सरकार प्रतिशोध की भावना से काम कर रही है। जांच हुए बिना प्रदेश के बड़े-बड़े मंत्री खुले मंच से कांग्रेसियों को आरोपी बना रहे हैं। यह काम करने का सही तरीका नहीं है। जनता भी सरकार के कामकाज को देख रही है।
महालक्ष्मी न्याय योजना पर नहीं जताया विश्वास बैठक में यह बात भी उठी कि आम जनता महालक्ष्मी न्याय योजना पर विश्वास नहीं कर सकी। इसमें एक लाख रुपए सालाना देने की बात थीं। कांग्रेस ने भाजपा सरकार महतारी वंदन योजना को काफी हल्के में लिया। इसका नुकसान भी कांग्रेस को उठाना पड़ा।