उस दौरान सत्ता पक्ष की धमक थी। प्रचार करने गए पार्टी के कार्यकर्ताओं को रूकने की जगह नहीं मिलती थी। जैसे-तैसे कार्यकर्ता वहां प्रचार करते थे। चुनाव परिणाम जूदेव के खिलाफ आया, लेकिन उनकी आभार रैली ने सभी का दिल जीत लिया। उनका कहना है मध्यप्रदेश के कई जिलों और गांवों में जूदेव का जोरदार तरीके से स्वागत किया गया था। इस चुनाव के बाद सभी ने जूदेव का हाथों हाथ लिया। मालूम हो कि 1949 को जन्मे दिलीप सिंह जूदेव की छवि एक कट्टर हिंदू नेता के तौर पर थी। 1975 में जशपुर नगरपालिका से अध्यक्ष बन कर सत्ता की राजनीति में आए थे।
दिलीप सिंह जूदेव का संबंध जशपुर राजघराने से था। जब गाड़ी से गिरने लगे आलू-प्याजदिवंगत जूदेव के लिए प्रचार का जिम्मा वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित अन्य नेताओं को मिला था। संतोष पाण्डेय बताते हैं कि वे लोग कवर्धा से जीप में सवार होकर खरसिया के लिए निकले थे। रास्ते में एक ट्रक से प्याज की बोरी गिरी।
हम लोगों ने जीप रोककर प्याज की बोरी गाड़ी में डाल ली। थोड़ा आगे जाने पर आलू की बोरी भी गिरी। इसे भी उठाने के बाद डॉक्टर साहब ने ड्राइवर को गाड़ी तेज चलाने को कहा। आगे जाकर जैसे-तैसे ट्रक को रोका और आलू-प्याज वापस किया। विधानसभा क्षेत्र पहुंचे तो डॉक्टर साहब ने प्रचार के साथ-साथ इलाज भी शुरू कर दिया था।