भकाड़ू अउ बुधारू के बीच म घेरी -बेरी पेपर म छपत माफी मांगे के दुरघटना के उप्पर चरचा चलत रहय। बुधारू बतावत रहय – ये रिवाज हमर देस म तइहां के आय। चाहे कोनो ल कतको गारी बखाना कर, चाहे मार, चाहे सरेआम वोकर इज्जत उतार, लूट-खसोट कहीं कर, मन भरिस तहन सरेआम माफी मांग ले। हमर देस के इही तो खासियत हे बाबू। इहां के मन सिरीफ पांच बछर म भुला जथे अउ कोनो भी ऐरे गैरे नत्थू खैरे ल माफी दे देथे। भकाड़ू – माफी मांगे के काये जरूरत पर जथे भइया? माफी नइ मांगतिन तभो वोकर काम नइ चलतिस गा?बुधारू- पांच बछर ले बिगन माफी मांगे काम चलाथे बपरामन। अउ कतेक दिन ले काम चलाहीं तेमा। अरे माफी मंगई हमर संस्करीति आय। ऐला जिंदा रखई बहुतेच जरूरी हे। ऐहा नंदाये झन कहिके बपरामन हरेक पांच बछर म सुरता देवाथे।भकाड़ू- माफी मांगे ले कहूं एकाध कनिक फायदा घलो होवत होही गा?बुधारू- माफी मांगे बर बड़का बने बर परथे, तभे फायदा होथे। तैं कोनो ल रे कहिके माफी मांग के देख। खररी नइ बांचही। अउ बड़का मनखे बर माफी मांगे के पाछू, जम्मो माफ । दूसर दिन बिहनिया ले पांच बछरिया गनपति ह भकाड़ू के घर पहुंचगे। भकाड़ू सोंचिस फोकटे फोकट माफ नइ करे बर चाही। बलकी वोकर किम्मत वसूले बर चाही। फेर सोंचिस, भलुक कतेक किम्मत होथे माफी के तेला आजमाय बर चाही। भकाड़ू ह माफी के किम्मत देखे बर माफी मांगत कहिस- मेहा तोला बीते समे म बने मनखे होबे कहिके बिगन मांगे बोट दे परेे रेहेंव। मोला माफी देहू। पांच बछरिया गनपति- तैं सहीं समझे रेहे भइया। मंय तोर बर कुछु नइ कर पायेंव कहत भऊजी बर लुगरा, ददा बर धोती, नोनी बर पोलखा अउ भकाड़ू बर दू ठिन चेपटी निकालिस। कभु देखे नइ रहय बपरा ह। भकाड़ू खुस होके कहे लागिस- मांग ले तोला जे मांगे बर हे।पांच बछरिया गनपति – मोला माफी दे दे भइया। सिरीफ तोर आसीरबाद चाही। भकाड़ू वोला अपन आसीरबाद देवत माफ करके बुधारू ल बतावत रहय। माफी मांगे के बड़ किम्मत होथे बइहा। तै का जानबे? मोला फोकटे-फोकट चलावत रेहे के, छोटे मनखे ल माफी नइ मांगे बर चाही कहिके। मेहा मांगेव त मोला बड़ अकन मिलिस। जबकि वो बड़का मनखे ह घोलंड के पांव पर के माफी मांगिस। काये पइस बपरा हा। जतका किम्मत हम पायेन तेकर नख के बरोबर न पइस बपरा ह। बुधारू- माफी मांगे के अतेक बड़ किम्मत वसूल के चल दिस अउ तैं वोला काये मिलिस कहिथस। तोर चेपटी काली सिरा जही, लुगरा पाटा बछरभर म चिरा जही। फेर पांच बछर ले तोर आसीरबाद अउ माफी के बदोलत, माफी मंगइया ह तोर छाती म मूंग दरही। भकाड़ू घलो जनता कस निचट भकला ताय। बुधारू के गोठ ल को जनी समझिस के नइ। हमर मुड़ म नरियर कस पथरा कचारत मनखे ल हमूमन पांच बछर म भुला जथन अउ बहुत सस्ता म माफी दे के पांच बछर पछताय बर चुन पारथन।