रायपुर

नानपन के खेल

सुरता म

रायपुरNov 22, 2021 / 05:08 pm

Gulal Verma

नानपन के खेल

दिन-रात आज के लइकामन मोबाइल म खुसरे रहिथे। आंखी ह फूट जही, एकठक गोठ ल समझे, न सुनय आजकल के लइकामन। डोकरी दाई ह हड़बड़ा त रहाय। छहबछर के नोनी अउ सात बछर के बाबू रहाय तेमन कहिथे- त काय करबो ओ?
डोकरी दाई कहिथे- तीरी पासा, पावली, गोटा हमर आनी- बानी के खेल हावय तेला खेलव ना रे भाई। जेकर ले दिमाग बाढ़थे अउ सरीर के सुस्ती भगाते। हम नइ जानन ओ, अइसन खेल ल कहिके नोनी-बाबूमन मोबाइल म फेर गड़ गे।
सिरतोन गोठ ये बपरा लइकामन ल पइदा होवत मोबाइल के आदत डार देबे त वोकर धियान दूसर डहर कहां के जाही। हमर पारंपरिक खेल ल आज के लइकामन नइ जानय। कतिक सुग्घर-सुग्घर खेल हावय। हमन नान-नान रहान त खेलत रेहेन आवव ऐकर बारे म जानन।
सबले पहिली लइका ह तीन बछर के होय त गोल गोल घुमय तेला घानी मुनी कहांय। वोला गोल गोल रानी घलो कहिथे। अटकन मटकन दही चटाकन लहुआ लाटा बन में कांटा। नान-नान लइकामन ऐला जल्दी सीखे। तीरी पासा या कौड़ी खेल ल बड़े-छोटे जम्मोझन खेले। ऐमा पचीस घर या पैंतालीस घर होथे। ऐला चारझन मनखेमन पांच ठन कौड़ी ले खेलथे। ऐमा अब्बड़ मज़ा आथे। बखत बेरा के पता नई चले। पावली ह दिमाग के खेल हरे।
ऐला दूझन खेलथे। ऐमा बीस ठन गोल घर बनाथे। खाले ऊपर दस दस ठन रहिथे। नान-नान गोटी ले खेले जाथे। गोटा ल पांचठन गिट्टी नइते नदिया के नान-नान पथरा ले खेलथे।
बिल्लस ल भुइंया म आठ चौकोर घर बना के लंगड़ी रेंग-रेंग के खेलथे। एकठन खपरा के टुकड़ा ल जेला बिल्लस कहिथे तेकर ले खेलथे। पित्तुल ल अबड़झन लइकामन खेलथें। खपरा, पथरा ल एक के उपर एक राखथे कपड़ा के गेंद बनाथे। पथरामन ल मारथे। जेकर निसाना ठीक रही त पथरामन गिर जाथे। दूसर लइका मन वोला फेर बनाथे अउ पित्तुल कथे।
फुगड़ी
एहा चुस्ती अउ फुर्ती के खेल हरयएनान नान नोनी मन बैठ के खेलथे।एखर गीत बड़ सुघर हेष्गोबर दे बछरू गोबर दे चारो खूट ला लिपन दे
चारो दुआरी ला लिपन दे
अपनं खाथे गूदा गूदा मोला देथे बीजा
चल बहिनी रहि जाबो तीजा
तीजा के बिहान दिन सरी सरी लुगरा
हेर दे भौजी कपाट के खीला
चिंउ चिंउ नरियाये मंज़ूर के पीला
एक गोड़ में लाल भाजी एक गोड़ में कपूर
कतिक ला मानो मैं देवर ससुर
फुगड़ी फू फू रे फुगड़ी फू
खीला गड़ोनी
बरसात लगिस त एक ठन बड़े खीला नी ते छड़ एक दू बीता तेला कच्चा जगह मा जोर से मारे के हरेएएला बड़ा तरीका से मारना हे जेखर से वो भुईयां मा गड़ जायएजेखर ले नी गडि़स वो हार गे।
डंडा पचरंगा
एह्यहा सामूहिक खेल हरे एक ठन बड़े डंडा ले एक ठन छोटे डंडा ल उठा के कथे।जेखर ले जतिक धूरिहा जाही वोहा जीतगे।
रेस टीप या लुकौल
एह्यमा एक जम्मो लैका मन लुकथे अउ एक झन लैका हा वोमन ला खोजथे जेला पहली देख डारिस तेहा पहला टीप दूसरा हा दूसरा टीप अइसने तीसराएचौथाएपांचवा करत जेला नी खोजे रहाय ते लैका आके रेस किहिस तहाने फेर ओखरे खोजे के पारी होथे अउ रेस नी होइस ता पहला टीप के लैका के दाम होथे।
गिल्ली डंडा
एक परकार से एहा किरकेट के ददा हरे समझव।एमा एक ठन तीन चार बीता के डंडा रहिथे अउ एक ठन नानकुन आधा बीता के दूनो डहर सूचकी छोले रहिथे वो डंडा के कुटका ला गिल्ली कहिथे। गिल्ली ल मारथे ता कोनो झोक डारथे त मरैया के पारी खतम।अउ झोकैया हा खेलथे।
माटी फोदा
एह्यमा गीला माटी के कटोरी बना के उबड़ी पटके के हरयएतहाने कटोरी हा उपर ले भोगरा हो जाथे त उहां माटी भरे के हरे एला माटी जीत घलो कहिथे।
नदी पहाड़
एहा सामूहिक खेल हरयएएमा ऊपर जैसन आटएपथराएरुखएएला पहाड़ अउ खाले ला नदी कहिथे जे खाले म उतरीस अउ छुआ गे ओखर दाम होथे।
कोसम पाल अउ चिल्लम चील
एमा दू गुट होथे हाथ ल उठा के दूझन लैका मनष्कोसम पाल भाई कोसम पाल सवा रुपय की घड़ी चोराई अब तो जेल में जाना पड़ेगा जेल की रोटी खाना पड़ेगाष्अइसे गाथे अउ लैका ला फसा के अपन अपन डाहर करके बहुमत करथे।चिल्लम चील मा लैका मन घेरा बना के खेलथे।ष्चिल्लम चील नब्बे चील किसने बुलाया गांधी जीएकाहे के वास्ते कपड़े के वास्ते किस की शादी एखर शादीष्जे लैका ल घूमे के रहि ओखर शादी कहिके लंबा लाइन बनाथे।

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