तइहा जुग म एकठन गांव म जागरुकता खातिर एकझन पढ़़े-लिखे मनखे ल भासन दे बर बलइन। वोहा भासन म समाज ल आघू बढ़ाय बर बने-बने समझौता बात बतावत – बतावत कहिस- बाल .बिहाव ह घलो हमार समाजिक खोंट आय। नोनी-बाबूमन के सगियान होय ऊपर ले उंकर मन-मुताबिक उंकर सलाह लेके करे बर चाही। ये सिखोना बात ल सुन के सुखु मंडल के बेटा अउ गोरधन गौटिया के बेटी अपन मन -मुताबिक एक-दूसर ऊपर मया ल गाढ़़ कर डरिन।नोनी.-बाबूमन बिहाव करे बर राजी होगे। फेर, गौटिया ह मंडल घर अपन बेटी ल दे बर हिचकिचाय। कइसनो कर के गौंटिया ल घलो मनाथे। ले-दे के मानबे करिस त कहिथे- एक बात हे भाई, बरात आहव त एकोझन बुढ़वा झन लानहू। सुखु मंडल अउ वोकर बेटा दूल्हा कहिथे- हव, ले नइ लानन बिहाव तो होवय। बरात जाय के बेर दूल्हा के बबा (नाना) अंड़ गे। मे अपन नाती के बरात जाहूं। तुमन कांही काहव। वो मानबे नइ करिस। वोला झांपी म तोप के लेगे।गांव म खुसरे के पहिली दुल्हिन के ददा एकझन धवनिहा भेज के कहिथे- अभी इही मेर ढार पार लव। जेझन बराती आय हव तेझन ल एक-एकठन बोकरा खाय बर परही। कोनो छोड़ही त बरात ल गांव म नइ धंसन देवन। जम्मो झन हड़बड़ा गे। एककठन बोकरा कइसे खाय सकबो?हार खा गे आखिर म जम्मोंझन बरतियामन लहुटे बर तियार होगे। झांपी म तोपाय डोकरा ल उघार के बतइन। डोकरा कहिथे- अतकीकन बात बर फिकर झन करव। जतका झन बरात आय हंन, तेठन बोकरा मंगावव। एकठन बोकरा ल पहिली रांधव। त एककठन ल रांधीच त चर-चर गुरिया पुरिच। अइसे-तइसे जेझन बरतिया रहीच तेठन ल खा डरिस। येला देख के घराती सियान ह कहिथे- तुमन कोनो सियान ल लाने हव, तभे अतेक सरत ल पूरा करे हव। त बताथे हव भई, एकझन झांपी म तोपा के आ गे हे। तभे कहिथें- सियान बिना कभु नइ होवय धियान। सब बात ल पूछ लव, जेन घर म हे सियान।