रायपुर

पुरखा सुरता के परब पितर पाख

संस्करीति

रायपुरSep 21, 2021 / 04:42 pm

Gulal Verma

पुरखा सुरता के परब पितर पाख

पितर पाख ह भादो महीना के सुक्ल पक्छ के अनन्त चतुदरसी के दिन ले सुरू होथे। इही दिन भगवान गनेस के मूरति के विसरजन घलो होथे। पितर पाख के पहिली दिन ला पितर बैसकी कहिथें। पितर बैसकी ह दू सब्द ले मिलके बने हावे-पितर अउ बैसकी। विद्वानमन बताथें कि पितर सब्द ह संस्करीत के पितरौ सब्द ले बने हे। जेकर मायने दाई-ददा होथे अउ बैसकी के मतलब हमर लोक भाखा म बइठारना होथे। कहे के मतलब अपन दाई-ददामन ल ऊंच पीढ़ा देके आदर सम्मान करई।
पितर बैसकी : हमर छत्तीसगढ़ी लोक परम्परा के मुताबिक पितर बैसकी के दिन घर के बहूमन बिहनिया ले उठके अपन सरगवासी सास-ससुर अउ पुरखामन के सुवागत-सतकार करे के तियारी करथें। घर के माई मोहाटी ल गोबर-पानी म लिपथें। ऐला ‘ओरी लिपना’ कहे जाथे। वोकर पाछू घर के अंगना म चाउर पिसान ले चौक पूरके वोमे पीढ़ा ल मढ़ाथें। पीढ़ा के आजू-बाजू कुम्हड़ा, रखिया के फूल रखके सजाथें। पीढ़ा ऊपर फूलकसिया लोटा म पानी भर के अउ वोमे मुखारी ल डुबो के राखथें। उहीच मेरन तरोई के पाना म चाउर अउ उरीद दार ल घलो मढ़ाथें। इही ह पितर बैसकी के आसन होथे। उही तीर बने हुम-जग देके अपन पितरमन ा नेवता भेजथें।
सरगवासी आत्मामन धरती म आथें
अइसे माने जाथे कि इही पितर बैसकी के दिन ले पितरमन ह आके अपन परिवार के बीच म नानकुन रूप म रहिथें। तभेच पितर बैसकी के दिन पितरमन के बइठे बर पीढ़ा म नवा कपड़ा बिछा के आसन लगाय जाथे। माने जाथे कि पितरपाख म भगवान ह सबो सरगवासी आत्मामन ल धरती म अपन परिवार के संग पंदरा दिन रहे बर भेजथे। अइसने किसम के ये परब ह पाखभर चलथे। पुरुस पितरमन के मउत ह जउन तिथि म होय रहिथे उहीच तिथि म वोला पितर मान के मान-मनौती करे जाथे। फेर माता पितरमन बर नवमी तिथि ल तय कर दे हावय। इही पाय के पितर पाख के नवमी तिथि ल मातरि नवमी घलो कहे जाथे।

Hindi News / Raipur / पुरखा सुरता के परब पितर पाख

Copyright © 2025 Patrika Group. All Rights Reserved.