परबुधिया छत्तीसगढिय़ा
प हाती सुुकुवा ल देख के माखन हा अपन बाई ला उठाके किहिस- ‘अंगाकर रोटी बना ले, नहा के आहूं, तहां ले भेलई जाहूं।Ó बाई ला बतावत देरी रिहिस। माखन अइस अउ रोटी धरके निकलगे भेलई डहर। कारखाना म काम भरदराय राहय। माखन ला ठेकेदार हा काम बता दीस।
अभी तीने-चार दिन काम करे पाय रिहिस। वोमन उंचहा अवाज म काहत राहंय- ‘हफ्ते भर बाद इनमें से दो को गड्ढे में ढकेल देना है। चिमनी बनाने के लिए आदमी की बलि चाहिए।Ó अइसने काहत वोमन दू-तीन घांव तीरे-तीर म रेंगिन। माखन सन्नागे। गांव आके पटेल दाऊ ला पूछिस। पटेल दाऊ बतइस- ‘भेलई कारखाना म चिमनी बनना हे। आदमी के बलि दे जाथे, तब चिमनी खड़ा होथे। उही बात ए।Ó तुमन गांव के रोजी- मजूरी ल छोड़ देव। अपन खेती-खार ला लतिया देव। मरे बर गे हव कारखाना म। वोहा कारखाना नोहय, कालखाना ए। ‘कुकुर के रइ आवय त छानही चघ के मरय।Ó अतेक बढिय़ा हमर बाना गांव। जिहां तीर म बहे हे सुग्घर नरवा। मोरो बारी म भांटा, पताल, तरकारी सब होवत हे। तोरो करा हे रे चार अक्कड़ खेत। बांह भरोसा, तीन परोसा। छोड़ भेलई ला, अपन खेत ला कमा। खेती अपन सेती केहे गे हे। माखन के आंखी जग्ग ले बर गे। उही दिन वोहा भेलई के रोजी-मजूरी छोड़ दी अउ नरवा तीर के चार अक्कड़ अपन खेत म साग-भागी के बारी लगाय बर पटेल के केहे मुताबिक सब जोर-तोड़ शुरू कर दीस।
पहली अपन बाई के टोंड़ा बेच के खेत ला पटेल दाऊ के टेक्टर म जोतवइस। फेर, पइसा नइ पूरिस। गांव के साहूकार सो बियाज म पइसा उठा लीस। भाग ताय। करेला अउ भांटा म वो बछर अइसे पइसा बनिस के माखन अउ माखन के ददा पटेल मेर जाके वोला अपन घर मुंह जुठारे के नेवता देके अइन। पटेल दाऊ खाते-खात बतइस के अब धान-गहूं म नइयें फायदा। फायदा हे साग-भाजी म। छोड़व धान-गहूं। बो दीस गहूं चल दिस कहूं, कहावते भर आय। बोवव रमकलिया अउ भाटा, सोन उगलही हमर सुक्खा भाठा। माखन अउ वोकर ददा गजब हासिन।
दूसरइया बछर घलो बने कारबार जमिस। गांव गे गरामसेउक के बात मानके माखन ह दवा-पानी बर बेंक ले खेती बर करजा ले लीस। पहली बछर तो करजा ल कइसनो कर के पटइस। दूसरइया बछर पताल म घाटा होगे। गराम सेउक इही बीच वोकर दूठन खेत ल तरिया बनाय बर खवना दीस। खेत म बनगे तरिया। वोमा मछरी बीजा डार के माखन सोचिस के घरो म खाबो अउ बजार म बेचबो। तीन महीना म मछरी बाढ़ गे। गांवभर म सोर उडग़े। दूरदरसन वालामन ला किरसीदरसन पुरोगिराम करे बर सरपंच हा बलवा दीस। माखन हा दस किलो मछरी तिरवइस।
बछर-बछर म माखन हा आधा अक्कड़ खेत ले लय। अइसे करत कुरावत वोकर करा दस अक्कड़ खेत होगे। पटेल के उभरौनी म माखन हा करजा करके टेक्टर ले लीस। तेरा अक्कड़ खेत बर टेक्टर जरूरी हे, पटेल दाऊ किहिस। टेक्टर आ गे। काम बाढग़े। तरिया म मछरी बीजा सालो-साल डारय। दूसरदसन वालामनके मारे आधा मछरी सिरा जय। आधा मछरी ला माखन लागमानी, गांव के हितू-पिरितू ल दे दय। कभु पेपर वालामन ला बला के माखन हा मछरी खवावय, दारू पियावव। पेपर वालामन ‘किरसी पंडितÓ लिख दंय वोला। माखन गदगद हो जाय।
माखन के कारबार अइसे जमत गीस के दूसर अउ किसानमन धीरे-धीरे धान-गहूं ला छोड़ के साग-सब्जी के बारी लगाय लगिन। देखते-देखत गांव अउ तीर-तखार म फारम के लाइन लग गे। साग-भाजी के बारी ला सब फारम केहे लगिन। सब झन सुन्ता करके बेंक म करजा लंय। सुन्ता करके फसल बोवंय। पताल बोय के सुल्लाह सबझन करिन अउ झार पताल बोइन। संग म केरा अउ अरम पपई घलो लगइन। चारों मुड़ा पताले-पताल के खेत। देखनी होगे। एक्के संग पाकिस पताल हा। अउ, दंभ ले भाव गिरगे। चारों मुड़ा उही बात। किसानमन किहिन- पताल नोहय, ऐहा जीव के काल ए। दही के भोरहा म कपास ल लील लेन। आंय करत, बांय होगे। एक किलो पताल म पांच रुपिया के खातू, दवा लगे हे। आठ आना म घलो कोनो पूछत नइये।
माखन संग भेलई म काम धरिस तौन सुधू केंवट हा तरक्की करके सुपरवाइजर होगे। वोहा माखन ला सुरू-सुरू म गजब समझइस। फेर, माखन वोकर बात ल मानबे नइ करिस। रट्ट ले छोड़ दे रिहिस नौकरी ला। जौन परदेसियामन डरवइन वोमन अपन-अपन आदमीमन ल नौकरी लगा लीन। वोमन मजा करत हें।
माखन हा ए बीच म तीर-तखार के बारी अउ फारम वाला किसानमन के नेता बनगे रिहिस। सब वोला किसान नेता काहय। इसी बछर सहकारी सेवा समिति बाना के चुनई होइस। माखन घर-घर जाके वोट मांगिस, फेर वोट कमती पइस अउ दम्भ ले हार गे। वोकर ददा ह गजब बरजिस। फेर, माखन उपर नसा छाय राहय नेतागिरी के। माखन किहिस- ददा तंय नइ जानस। दुनिया कहां ले कहां पहुंचगे। नेता बने बिना पुछारी नइ होवय। वोकर ददा किहिस- बेटा, नेता बन गा। अपन बारी म गुंडा, लोफ्फड़मन ला सकेल के खवाय-पियाय हस तेहा नइ बने लागिस भई।
बिहनिया हजारों किसानमन सकलइया रिहिन। नेताजी आ गे राहय। नेता के बबा करा हजारों एकड़ जमीन रिहिस। फेर, वोहा खेती नइ करय। नेतागिरी करथे। नेता किहिस- ‘ए सरकार हा किसान के दुस्मन ए। ऐला पाठ पढ़ाना जरूरी हे। हमर खेत, हमर खार, हमी गरीब राहन। बाहरी मनखे आके मंतरी बनगे। हमर किसान भाई पताल लगा के पताल म बुडग़े। ऐ सरकार किसान ला बरबाद करने वाला हे। हमर सरकार आही त हम मालामाल कर देबो।Ó
मराखन मरार वोकर बात सुनके सुकरीत दास ल किहिस- मालामाल तो नेतामन हव। मरना किसान के हे। चाहे तंय कर, चाहे दूसर। हमर मुड़ म मूसर, हमर देह म फोरा। इही ला केहे गे हे ‘दांदर के दंदोरा।Ó बात ल सुनके तीर के मनखेमन मुचमुचइन।
टरक अउ मेटाडोर म भर के पताल ल सब लेगिन अउ सड़क म गिरा के दिन भर उपदरव करिन। अचानक कोन जनी का हल्ला होइस के मारपीट सुरू होगे। पहली पुलिस वालामन लौठी म बजेडिऩ। देखते-देखत माखन के टेक्टर म आगी लग गे। तीन-चार किसान के टेक्टरमन म घलो आगी लग गे। किसान भड़क गे। माखन तोजाना-माना बइहागे। मारो-मारो, काटो-भोंगो सुनाय लगिस अउ गोली चल गे।
माखन समेत तीन अउ किसान ला गोली लग गे। एके संग बाना गांव के चारझन किसान के लास गिरिस। गांव सुन्ना परगे। माखन हा अपन बारी म बने तरिया म उही दिन जाल चलाय बर चारझन ढीमरमन ला जोंगे रिहिस। तरिया म जाल लेके वोमन पहुंचे भर पाय रिहिन के खबर आ गे के माखन अउ तीनझन किसान रेंग दीन उपर डहर।
जाल ल खांंद म लाद के गांव डहर वोमन ला आवत देख के पुलिस वालामन पूछिन- खाली जाले लेके रेंगहू के मछरी घलो फंसाहू रे। वोकरमन के बदला एकझन सियनहा किसान जुबाव दीस- मछरी तो सरकार फंसाथे सिपाही जी। साहेब, चाकर, सिपाही इहीमन तो सरकार के जाल ए। मछरी हमन तान।
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