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कई बार तो शिक्षक ही ये मानते हुए प्रैक्टिकल के अंक में सुधार की मांग करते हैं कि उन्होंने गलती से दूसरे बच्चे के नंबर दूसरे को दे दिए हैं, य फिर प्रेजेंट बच्चे को अब्सेंट बता दिया गया है और अब्सेंट बच्चे को प्रेजेंट। इसी तरह की शिकायतों का निपटारा करने के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल ने फैसला लिया है कि स्कूलों को अब प्रैक्टिकल का रेकॉर्ड 6 महीने तक सुरक्षित रखना होगा। ताकि, गलत नंबर देने की बात आती है तो स्टूडेंट्स के प्रोजेक्ट्स की दोबारा जांच की जा सके।
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चूक गए तो दूसरा मौका नहीं माशिमं ने स्पष्ट कर दिया है कि सभी परीक्षार्थियों को प्रैक्टिकल के प्रोजक्ट्स अनिवार्य रूप से जमा करने होंगे। अगर कोई स्टूडेंट प्रोजेक्ट जमा नहीं करता है तो उसे दोबारा मौका नहीं दिया जाएगा। वहीं स्कूलों के लिए भी एक निर्देश जारी किया गया है। इसके मुताबिक वे बाह्य परीक्षक नियुक्त नहीं कर सकेंगे। वही परीक्षक बोर्ड की प्रैक्टिकल परीक्षाएं ले सकेंगे जिन्हें शिक्षा विभाग की ओर से नियुक्त किया गया है। बाह्य परीक्षकों को मान्य नहीं किया जाएगा। न ही इनके द्वारा ली जाने वाली परीक्षाओं को मान्य किया जाएगा।