CG Water Pollution: कभी नगर निगम तो कभी पर्यटन मंडल के खींचतान में विवेकानंद सरोवर को संवारने के नाम पर जिम्मेदारों ने धब्बा लगाया है। जबकि, दावा किया जाता रहा कि इस तालाब का सौंदर्यीकरण स्मार्ट सिटी के अनुरूप होने से शहर के लोगों को अच्छी सुविधाएं मिलेंगी। लोग तालाब के परिक्रमा पथ पर सुबह-शाम घूम सकेंगे। गार्डन में दो पल सुकून की सांसें लेंगे। बोटिंग और फव्वारे का आनंद उठा सकेंगे। शहर के बीच इस सबसे बड़े तालाब में ऐसी
सुविधाएं होने से रोजगार बढ़ेगा और पर्यटन मंडल को राजस्व मिलेगा। इस नाम पर करीब 32 करोड़ रुपए के हिसाब-किताब की फाइलें मोटी हुई हैं। परंतु तालाब बदहाली से उबर नहीं पाया है। सबसे बड़ी हैरानी ये कि नगर निगम से हैंडओवर लेने के बाद पर्यटन मंडल के जिम्मेदारों ने झांके तक नहीं।
CG Water Pollution: एसटीपी अूधरा
शहर के इस ऐतिहासिक तालाब के साथ दो-दो बार एक जैसा खेल हुआ है। 2015-16 में रायपुर को
स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 740 करोड़ रुपए का फंड मिलने पर स्मार्ट सिटी कंपनी ने लगभग 32 करोड़ रुपए का हिसाब-किताब तालाब के नाम पर की। 5 करोड़ में फव्वारा लगवाया गया। लाइटिंग और पाथवे में 5 से 7 करोड़ रुपए खर्च होने की फाइलें तैयार हुईं। परंतु वह काम पूरा होने के साल-डेढ़ साल में ही बदहाल हो गया। इससे 10 साल पहले 14 लाख का म्युजिक फाउंटेन कबाड़ हुआ है।
नगर निगम से पर्यटन मंडल ने हैंडओवर लेकर बूढ़ातालाब को शहर का पिकनिक स्पॉट बनाने के लिए लिया था। अब स्मार्ट सिटी कंपनी से
करोड़ों रुपए सौंदर्यीकरण पर हिसाब-किताब हो जाने के बाद नगर निगम ने पर्यटन के रूप में संचालित करने पर्यटन मंडल के हैंडओवर किया है। परंतु न तो रखरखाव किया जा रहा है और न ही संचालन में रुचि दिखाई जा रही है। जब तक महाराजबंद तालाब में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरा नहीं हो जाता है, तब तक नाले की गंदगी बूढ़ातालाब में रुकेगी नहीं।