वहीं हड़ताल के लंबा खिंचने की आशंका को देखते हुए फैक्ट्रियों से उठाव शुरू हो गया है। बंद की घोषणा को देखते हुए पिछले सप्ताहभर से डिमांड बढ़ गई है। जबकि मानसूनी सीजन में आमतौर पर सरिया और स्टील का बाजार ठंडा रहता है। लोहा एवं स्पंज आयरन की फैक्ट्रियों में प्रतिमाह 15 लाख टन का उत्पादन होता है। इसमें 15 फीसदी स्थानीय और 85 फीसदी दूसरे राज्यों को भेजा जाता है। बंद के चलते स्थानीय डिमांड बढ़ने पर अधिकांश गाडि़यों को नहीं भेजा गया।
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छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी ने बताया की बंद को देखते हुए स्टील की कीमतों में तेजी आई है। उत्पादन बंद होने से फैक्ट्री संचालकों के साथ ही आम लोगों और राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। बिजली की दरों में राहत नहीं मिलने और उत्पादन बंद होने से कीमतों में और इजाफा होगा। बता दें कि राज्य में 800 से ज्यादा लोहा फैक्ट्रियों और इससे जुडे़ अन्य उद्योगों का संचालन होता है। बिजली की दरों के विरोध में 250 से ज्यादा फैक्ट्री इस समय बंद है।इसलिए हो रहा विरोध
लोहा कारोबारियों ने बताया कि आयरन ओर को गलाने के बाद लोहा निर्माण करने पर पहले 10000 रुपए प्रति टन की लागत आती थी। लेकिन, बिजली की बढ़ी हुई दर के चलते 12500 रुपए प्रति टन खर्च करना पड़ रहा है। इसके चलते उन्हें प्रति टन 2500 रुपए का अतिरिक्त भार पड़ रहा है। वहीं 1 टन आयरन ओर को गलाने पर 80 फीसदी लोहा के बाद कोयला और मजदूरी सहित अन्य मदो को मिलाकर 30000 रुपए की लागत आ रही है। कारोबारियों का कहना है कि पहले उन्हें 5.75 पैसा प्रति यूनिट बिजली की आपूर्ति हो रही थी। लेकिन इस समय उन्हे 7.60 रुपए प्रति यूनिट और 15 फीसदी तक एफपीपीएएस,10 पैसे उपकर लिया जा रहा है। जबकि यही बिजली 2014 में 4.15 रुपए प्रति यूनिट के दर से मिलती थी।स्टील उद्योगों को 713 करोड़ रुपए की छूट :सीएसपीडीसीएल
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी (सीएसपीडीसीएल) ने प्रेस रिलिज जारी कर बताया कि स्टील उद्योगों को 6.35 रुपए प्रति यूनिट बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। जबकि पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में 8.36 रुपए, तेलंगाना में 8.10 रुपए और मध्यप्रदेश में 7.15 रुपए प्रति यूनिट दर से उद्योगों को बिजली मिल रही है। पिछले आठ सालों में केवल 35 पैसे प्रति यूनिट बिजली दर बढ़ाई गई है। राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा 1 जून 2024 को वर्ष 2024-25 के लिए विद्युत आपूर्ति की नए दरों की घोषणा की गई है। जिसमें उच्चदाब स्टील उद्योगों के प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार में मात्र 25 पैसे (4.10 प्रतिशत) की वृद्धि कर 1 जून 2024 से प्रति यूनिट ऊर्जा प्रभार 6.35 रुपए निर्धारित किया गया है। यह भी पढ़ें
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साथ ही लोड फैक्टर पर मिलने वाली अधिकतम छूट को 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत किया गया है। आयोग द्वारा वास्तविक खपत को आधार मानते हुए स्टील उद्योगों की इस वर्ष की अनुमानित खपत 11,237 मिलियन यूनिट का आकलन किया है। इस खपत के आधार पर ऊर्जा प्रभार में की गई वृद्धि के बावजूद टैरिफ लोड फैक्टर पर 713 करोड़ की छूट टैरिफ के माध्यम से स्टील उद्योगों को मिल रही है। वहीं अतिरिक्त उच्चतम दाब की अवधि रोजाना को 6 घंटे से 8 घंटे कर दिया गया है।अचानक 68 प्रतिशत छूट बढ़ी थी
अफसरों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के उच्चदाब स्टील उद्योगों को 4 वर्ष पहले अचानक खपत आधारित ऊर्जा प्रभार में दी जाने वाली छूट 8 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दी गई थी, जिससे इन उद्योगों को एकदम से 68 प्रतिशत का लाभ मिलने लगा था। वर्तमान में, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा अज्ञात कारणों से आश्चर्यजनक रूप से अचानक बढ़ाई गई छूट को ही न्यायोचित रूप से कम किया गया है। इससे उच्चदाब स्टील उद्योगों को मिलने वाला अतिरिक्त फायदा कम हो गया है, जिसको लेकर वे गैर-वाजिब दबाव बना रहे हैं।सीएम के साथ वार्ता बेनतीजा, दो को फिर बातचीत
बिजली की दरों को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के साथ सीएम हाउस में मंगलवार की देर रात लोहा कारोबारियों के साथ बैठक बेनतीजा रही। इस दौरान कारोबारियों ने बताया कि बिजली की दर में 1.50 रुपए इजाफा किया गया है। इसके कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। सीेएम ने विद्युत विभाग के अधिकारियों से बिजली की दरों की जानकारी ली। साथ ही कहा कि उनकी मांगो पर विचार किया जाएगा। इस संबंध में सीएम के साथ 2 अगस्त को फिर बातचीत होगी। लोहा कारोबारियों ने बिजली की दरे कम नहीं करने पर बंद को जारी रखने और आंदोलन का विस्तार नहीं करने का निर्णय लिया है। बैठक में प्रमुख रूप से उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन, छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन अध्यक्ष अनिल नचरानी, छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन के महासचिव मनीष धुप्पड़ एवं उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, विकास अग्रवाल सहित अन्य उद्योगपति शामिल थे।