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CG Politics: पेड़ पर चढ़े लोगों पर की गई फायरिंग, उच्च स्तरीय जांच हो
कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकारवार्ता के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा, इस मुठभेड़ में 12 लोगो की मौत हुई थी और 6 लोग घायल हुए थे। पुलिस का दावा था कि मारे गए सभी लोग नक्सली थे। वहीं, घटना के बाद ग्राम पीडिया और ईतवार के ग्रामीणों का कहना है कि घटना में मारे गए सभी लोग नक्सली नहीं थे। ग्रामीणों के मुताबिक, मृतक मल्लेपल्ली निवासी बुधू ओयाम और पालनार निवासी कल्लू पूनेम नक्सली गतिविधियों में संगम सदस्य के रूप में कार्य करते थे। बाकि शेष मृतक व घायल किसी भी प्रकार के नक्सली गतिविधियों में शामिल नहीं थे। वे पीडिया जंगल में तेन्दुपत्ता तोडने गए थे। पुलिस गश्त को देखकर वो भागने लगे और कुछ लोग पेड के ऊपर चढ़ गए। इसी दौरान पुलिस अंधाधुंन फायरिंग करना शुरू कर दिया। बैज ने कहा, ग्रामीणों की शिकायत बेहद ही गंभीर और संवेदनशील है।
इस मामले की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। बैज ने कहा, झीरम में अभी तक हुई किसी भी जांच में घटना के राजनीतिक षड्यंत्र की दिशा में कोई जांच नहीं हुई। न्यायिक जांच आयोग के कार्यकाल को जब कांग्रेस सरकार ने बढ़ाया तथा जांच के दायरे में घटना के षड्यंत्र को जोड़ा, तब तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक हाईकोर्ट से स्टे लेकर आ गए। भाजपा के नेता सच सामने नहीं आना देना चाहते हैं।
CG Politics: उनके नेताओं की हत्या वाले दिन ही किया नक्सलियों का समर्थन
भाजपा के पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा ने कांग्रेस के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने पत्रकारवार्ता में कहा, आज ऐसे दिन है, जब कांग्रेस से ही जुड़े प्रदेश के अनेक नेता नक्सल हमले में दिवंगत हुए थे। उसी दिन कांग्रेस अध्यक्ष प्रेस वार्ता लेकर नक्सलियों के समर्थन से संबंधित बयान जारी करते हैं। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ सबसे बड़ी लड़ाई नक्सलवाद के विरुद्ध लड़ रहा है। सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता भी मिल रही है। ऐसे में कांग्रेस का हर कदम पर सवाल उठा कर सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ने का कार्य करती है। शर्मा ने कहा, कांग्रेस सिर्फ नक्सलियों के मारे जाने पर टीम गठित करती है। हमें आदिवासी क्षेत्र का विकास करना है इसलिए नियद नेल्लानार योजना लाए हैं। उन्होंने कहा, पीडिया मुठभेड़ मामले में कांग्रेस ने सफ़ेद झूठ बोला है।
शर्मा ने कहा कि जहां पर मुठभेड़ हुई, वहां तेंदूपत्ता तुड़ाई का काम होता ही नहीं है। तेंदूपत्ता तुड़ाई वहां स्थानीय लोग करते हैं, जबकि नक्सली बीस किलोमीटर दूर से आए हुए थे। बमुठभेड़ के बाद कुल 14 नक्सली गिरफ़्तार भी किए गए, जिन पर कुल 41 लाख का इनाम था। अगर मारना ही होता, तो गिरफ़्तार क्यों करते? जब-जब नक्सल समस्या के समूल समाधान की बात आती है, तब-तब कांग्रेस उनके पक्ष में ढाल बनकर खड़ी हो जाती है।