CG News: महाराष्ट्र में बढ़ते जा रहे केस
नेहरू मेडिकल कॉलेज प्रबंधन जरूरत पड़ने पर किट खरीदी कर सकता है। इसके लिए माइक्रो बायोलॉजी विभाग प्रस्ताव बनाकर भेजेगा। गुरुवार को प्रदेश में एचएमपीवी का एक भी सैंपल जांच के लिए एम्स नहीं भेजा गया है। प्रदेश में एचएमपीवी के इलाज व जांच के लिए बुधवार को गाइडलाइन जारी की गई थी। गुरुवार को पत्रिका की पड़ताल में पता चला कि इस वायरस की जांच के लिए किट ही नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार इसकी किट कोरोना की जांच वाली किट जैसी ही होती है। किट का प्रकार अलग होता है। अभी प्रदेश में एक भी केस नहीं आया है, लेकिन पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र में केस बढ़ते जा रहे हैं। यह संक्रामक बीमारी है। राजधानी में नागपुर व मुंबई से आने-जाने वाले काफी संख्या में लोग आते हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में रिस्क बढ़ने की आशंका है।
200 के करीब मरीजों की हुई थी मौत
हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि यह पुराना वायरस है इसलिए खतरा ज्यादा नहीं है। अगर वायरस में म्यूटेशन आ गया हो तो खतरा बढ़ सकता है। स्ट्रेन बदलने पर वायरस का स्वरूप व असर बदल जाता है। कोरोना वायरस में भी कई म्यूटेशन हुए थे। इसलिए दूसरी लहर यानी अप्रैल 2021 में प्रदेश में कोरोना से सबसे ज्यादा मौत हुई थी। तब प्रदेश में 24 घंटे में 17 हजार से ज्यादा व 200 के करीब मरीजों की मौत हुई थी। यह भी पढ़ें
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माइक्रो बायोलॉजी नेहरू मेडिकल कॉलेज, एचओडी, डॉ. निकिता शेरवानी: कॉलेज में वायरोलॉजी लैब है। एचएमपीवी की आरटीपीसीआर जांच के लिए किट की जरूरत है। जरूरत पड़ने पर प्रबंधन को किट खरीदी के लिए प्रस्ताव बनाकर दिया जाएगा। गुरुवार को अस्पताल या जिले से एक भी सैंपल नहीं आया है।ऐहतियात बरतने की जरूरत
CG News: नेहरू मेडिकल समेत दूसरे कॉलेजों में किट की खरीदी होने पर एचएमपीवी की जांच होने लगेगी। अगर भविष्य में केस बढ़ते हैं तो स्वास्थ्य विभाग बल्क में किट खरीद सकता है। हालांकि डॉक्टरों के अनुसार केस बढ़ने की संभावना नहीं के बराबर है। बावजूद जरूरी ऐहतियात बरतने की जरूरत है। 5 साल से कम उम्र वाले बच्चे, बुजुर्ग, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले, अस्थमा व सीओपीडी बीमारी वालों के लिए रिस्क ज्यादा है। इसलिए ऐसे लोगों को अलर्ट रहने की जरूरत है। ताकि संक्रमण होने पर दूसरे व्यक्ति संक्रमित न हो सके। इसके लिए कोरोनाकाल जैसे ऐहतियात बरतने की जरूरत है।