इस दौरान ऐसे घरों की तलाश करते हैं, जहां ताला लगा हो। एक दो दिन से लाइट बंद हो। इसके बाद आराम से चोरियों को अंजाम देते हैं। ये कवर्ड कैंपस वाली कॉलोनियों को भी आसानी से निशाना बनाते हैं। ठंड में चोरियां बढ़ने की वजह रात में लोगों की आवाजाही कम हो जाना। लोगों का मूवमेंट भी कम होना है। इसके अलावा रात्रि गश्त और पेट्रोलिंग भी कम होना है।
CG News: हर साल 500 से ज्यादा नकबजनी
रायपुर में हर साल 500 से ज्यादा घरों और
मकानों के ताले टूटते हैं। इनमें से अधिकांश चोरी के मामले नहीं सुलझते हैं। चोरों का पता नहीं चल पाता है। बाहरी चोरों का भी पता नहीं चल पाता है। न ही उनसे चोरी का माल बरामद होता है। इस साल भी नकबजनी और चोरी के आंकड़े 1 हजार से ज्यादा पहुंच चुके हैं।
बाहरी गैंग का सोना-चांदी, नकदी पर फोकस
दूसरे राज्य के चोर गैंग का केवल
सोना चांदी और नकदी में फोकस रहता है। इसके अलावा अन्य चीजें नहीं चुराते हैं, जबकि लोकल चोर गिरोह सभी चीजें चुराते हैं।
ग्रामीण इलाकों में ज्यादा खतरा
शहर का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण है। इसमें मकान दूर-दूर में बने हैं। स्ट्रीट लाइट का भी अभाव रहता है। अधिकांश समय अंधेरा रहता है। मेन रोड की लाइटें भी बंद रहती है। इसका फायदा चोर उठाते हैं। इन्हीं इलाकों में चोरियां करते हैं। पिछले दिनों गैती गैंग ने
विधानसभा, तिल्दा नेवरा, आरंग, खरोरा, सेजबहार जैसे आउटर के इलाकों में 25 चोरियों को अंजाम दिया था।