CG News: स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने स्कूलों का कर दिया बहिष्कार
प्रशासन ने किरकिरी से बचने के लिए पास ही के बोईरगांव के 4 शिक्षकों को राजापड़ाव भेज दिया। अब बोईरगांव में कक्षाएं खाली जा रहीं हैं। नतीजतन यहां भी स्टूडेंट्स और पैरेंट्स ने स्कूलों का बहिष्कार कर दिया है। बुधवार को इसके विरोध में प्रदर्शन भी किया। गुरुवार को गरियाबंद तक 56 किलोमीटर लंबी पदयात्रा कर कलेक्टर से पूरे मामले की शिकायत करने की बात कही। फिर बीईओ ने ग्रामीणों से चर्चा के बाद राजापड़ाव भेजे गए 4 शिक्षकों को वापस उनकी मूल जगह भेजने की बात कही। आदेश भी निकाल दिया। इसके बाद भी ग्रामीणों का गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है। उनके मुताबिक, बोईरगांव में 6 प्राइमरी, 3 मिडिल और एक हाई स्कूल मिलाकर कुल 10 स्कूल हैं। यहां पढ़ाने के लिए वैसे ही शिक्षक कम थे।
बेहतर भविष्य के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर
इनमें से 6 शिक्षकों को इधर-उधर प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया है। अभी प्रदर्शन के बाद राजापड़ाव भेजे गए 4 शिक्षकों को तो लौटाने की बात कही है, लेकिन प्राइमरी स्कूल के एक प्रिंसिपल अब भी वापस गांव नहीं भेजे गए हैं। ऐसे में वह स्कूल अभी केवल एक शिक्षक के भरोसे है। (Chhattisgarh News) एक व्यक्ति पांचों कक्षाओं को नहीं पढ़ा सकता। इस वजह से हर दिन बच्चों के पीरियड खाली जाते हैं। पढ़ाई ही नहीं होगी, तो प्रतिस्पर्धा के इस युग में बच्चे आगे कैसे बढ़ेंगे? यही बात पालकों की सबसे बड़ी चिंता है। ऐसे में वे अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं। इधर, शिक्षकों को वापस बोईरगांव भेजे जाने से राजापड़ाव में एक बार फिर आंदोलन की आग भड़क सकती है। स्कूलों में शिक्षकों की कमी से पहले ही परेशान ग्रामीण बुधवार को मैनपुर पहुंचे। बीईओ कार्यालय के सामने बेमुद्दत हड़ताल पर बैठ गए।
यह भी पढ़ें: CG school girls: अतिथियों के सामने छात्राएं बोलीं- हमें साइकिल नहीं, हर विषय के अच्छे शिक्षक चाहिए अफसरों को जब इसकी खबर लगी, तो तहसीलदार जीएल साहू, बीईओ महेश पटेल के साथ टीआई शिव शंकर हुर्रा उनसे मिलने पहुंचे। काफी देर की समझाइश के बाद बीईओ ने प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए 6 में से 4 शिक्षकों को वापस बोईरगांव स्कूल भेजने का आदेश निकालने की बात कही, तब जाकर ग्रामीण हड़ताल से उठने के लिए राजी हुए।
पिछले 5 साल से स्कूलों की यही हालत
CG News: हालांकि, इलाके में लगातार बदहाल होती शिक्षा व्यवस्था के विरोध में गुरुवार को गरियाबंद तक पदयात्रा निकालने के फैसले पर वे अडिग हैं। हड़ताल के दौरान पूर्व सरपंच रामसिंह मांझी, देवीसिंह कमलेश, विजय सिंह ठाकुर आदि मौजूद रहे। मिडिल और हाई स्कूल का समय वो दौर होता है, जब बच्चा तय करता है कि भविष्य में वह किस दिशा में आगे बढ़ना चाहता है। बोईरगांव के बच्चों की दिक्कत है कि यहीं उनकी नींव सबसे कमजोर है। दरअसल, यहां स्कूलों में गणित और विज्ञान विषय के शिक्षकों की भारी कमी है। कई स्कूलों में तो शिक्षक ही नहीं हैं। गांववालों की मानें तो पिछले 5 साल से स्कूलों की यही हालत है। पंचायत के गांवों में ऐसे परिवार कम ही हैं, जो अपने बच्चों को बेहतर पढ़ाई के लिए मैनपुर या गरियाबंद भेज सकते हैं। ऐसे में ज्यादतार बच्चों की पढ़ाई प्रशासनिक नाकामी की वजह से बुरी तरह मार खा रही है।
महेश पटेल, बीईओ, मैनपुर: बोईरगांव पंचायत के ग्रामीणों ने शिक्षक-शिक्षिकाओं की वापसी की मांग पर धरना दिया था। जिन 6 शिक्षकों को अन्य स्कूलों में भेजा गया था, उनमें से 4 को वापस उनकी मूल शालाओं में पदस्थ कर दिया गया है। 2 अन्य शिक्षकों के बारे में जिला शिक्षा अधिकारी को सूचना दी गई है।