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CG News: माना बस्ती में डकैती, पुलिस के हाथ खाली:
हाल ही में माना बस्ती के पड़ावपारा में कृषि विभाग जोरा के सहायक ग्रेड तीन प्रख्यात चंद्राकर के घर में बड़ी डकैती हुई। गुरुवार रात को हुई इस वारदात के बाद भी पुलिस कोई सुराग नहीं जुटा पाई है। जांच के दौरान पोद्दार स्कूल के पीछे नहर के पास लूटे गए गहनों के खाली डिब्बे, जमीन के दस्तावेज और अन्य सामान पड़े मिले, जो इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि डकैत किसी चार पहिया वाहन से आए थे और वारदात को अंजाम देकर फरार हो गए। पुलिस को आशंका है कि वारदात में मप्र का पत्थरबाज गिरोह या बिहार का साहिबगंज गिरोह शामिल हो सकता है। इन गिरोहों की प्रदेश में सक्रियता के संकेत पहले भी मिले थे। हर साल इनके आने का खतरा बना रहता है, और चोरी-डकैती जैसी वारदातों को अंजाम देकर ये गिरोह शहर से बाहर के इलाकों में शरण लेते हैंबढ़ती घटनाओं पर पुलिस की नाकामी
रायपुर में बढ़ती डकैती और चोरी की घटनाएं पुलिस के लिए चुनौती बनती जा रही हैं। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे लगने के बावजूद भी अपराधी इनसे एक कदम आगे चल रहे हैं और बाहरी इलाकों को निशाना बना रहे हैं। कई पुरानी डकैती और चोरी के मामले अभी भी अनसुलझे हैं, जो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हैं।आंकड़े बताते हैं स्थिति की गंभीरता
जनवरी 2024 से अगस्त 2024 तक के आंकड़े बताते हैं कि रायपुर और प्रदेश में अपराधों की संख्या बढ़ रही है। इन आठ महीनों में हत्या के 50, हत्या के प्रयास के 57, डकैती के 2 और डकैती के प्रयास के 2 मामले दर्ज हुए हैं। इसी अवधि में चोरी के 2262, धोखाधड़ी के 132, नकबजनी के 358, और यौन उत्पीड़न के 16 मामले सामने आए हैं। सड़क हादसों में मौत के आंकड़े भी चिंताजनक हैं, जिनमें 412 लोगों की जान जा चुकी है। ये आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि रायपुर और उसके आसपास के इलाकों में सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की तत्काल आवश्यकता है। 13 मार्च की रात राखी थाना क्षेत्र के उपरवारा में जनपद सदस्य संतराम साहू के घर दो नकाबपोशों ने घुसकर वारदात की कोशिश की। किरायेदार किशन निषाद पर डंडे और पत्थर से हमला किया गया, लेकिन शोर मचाने पर दोनों आरोपी सीढ़ी से उतरकर भाग निकले। इसी तरह, प्रदेश के अन्य शहरों जैसे जगदलपुर और दुर्ग में भी ऐसे बाहरी गिरोह सक्रिय हैं। ये गिरोह चोरी, ठगी, लूट और अन्य संगीन अपराधों को अंजाम देने में माहिर हैं। पुलिस ने ऐसे दो दर्जन से अधिक गिरोहों की पहचान की है, लेकिन अब तक इन पर अंकुश लगाने में सफलता नहीं मिल पाई है।