वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh News) के बीजापुर स्थित इंद्रावती टाइगर रिजर्व में चार वन भैंसों (Wild Buffalo) को विचरण करते हुए स्थानीय लोगों द्वारा देखा गया था। वहीं ट्रैप कैमरे में उनकी फोटो मिली थी। इसे देखते हुए महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिला स्थित वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया। इस दौरान पता चला कि स्थानीय कोलामार्का अभयारण्य में उन्हें विचरण करते हुए देखा गया था। बता दें कि राज्य निर्माण के समय वर्ष 2000 में इनकी संख्या करीब 80 थी लेकिन, पिछले 22 वर्ष में यह घटकर 9 ही रह गई है।
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दर्जनों योजनाएं बनी
राज्य सरकार द्वारा राजकीय पशु को बचाने के लिए पिछले 22 वर्ष में 7 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। उनकी संख्या बढाऩे के लिए क्लोनिंग कराने की तैयारी चल रही है। ताकि वंश वृद्धि की जा सके, लेकिन यह योजना भी फेल हो गई है। हालांकि वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ का कहना है कि वन भैसों की संख्या को बढ़ाने के लिए ब्रीडिंग कराई जाएगी। इसके लिए वन विभाग के अधिकारियों को विशेषज्ञों के साथ प्रस्ताव बनाकर भेजने कहा गया है।
इसी तरह असम स्थित मानस राष्ट्रीय उद्यान से 2 वन भैसें लाए गए हैं। उन्हें इस समय बारनवापारा अभयारण्य में रखा गया है। वहीं 3 मादा और 2 नर वनभैसा लाने की कवायद पिछले काफी समय से चल रही है। वहीं उनके संरक्षण और संवर्धन के लिए बारनवापारा और उदंती-सीतानदी में बाड़ा भी बनाया गया है, लेकिन अब तक किए गए सारे प्रयास फेल हो चुके हैं।
असमंजस की स्थिति
वन भैसों को बचाने के लिए असम से अप्रैल 2020 में 2 वनभैंसों को छत्तीसगढ़ लाया गया है, लेकिन इनका अब तक कोई उपयोग तक नहीं किया गया है। बारनवापारा स्थित बाड़े में पिछले 2 साल से रखा गया है। जबकि अनुसूची एक के तहत आने वाले वन्य प्राणी को बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता है।
संयुक्त रूप से होगा संरक्षण
जंगल में विचरण कर रहे वनभैसों का संरक्षण और संवर्धन करने महाराष्ट्र वन विभाग के साथ संयुक्त योजना बनाई जाएगी। इसके लिए गढ़चिरौली वन विभाग के अधिकारियों से चर्चा चल रही है।
संयुक्त रूप से होगा संरक्षण
जंगल में विचरण कर रहे वनभैसों का संरक्षण और संवर्धन करने महाराष्ट्र वन विभाग के साथ संयुक्त योजना बनाई जाएगी। इसके लिए गढ़चिरौली वन विभाग के अधिकारियों से चर्चा चल रही है।
धम्मशील गणवीर उपनिदेशक, इंद्रावती टाइगर रिजर्व