दरअसल, महा निरीक्षक पंजीयन के अध्यक्षता में केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक हुई थी। इसमें निर्णय लिया गया था कि वृक्षों के मूल्य गणना से संबंधित उपबंध के प्रावधान को विलोपित कर दिया जाए। इसका आशय यह है, कि किसी संपत्ति पर वृक्ष होने या नहीं होने से उसके बाजार मूल्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
जनहित में राजस्व नुकसान भी करेंगे बर्दाश्त
प्रदेश में इस नई व्यवस्था के लागू होने से सरकार को राजस्व का नुकसान होगा। यह राशि 10 करोड़ के आसपास होगी। इस संबंध में पंजीयन एवं मुद्रांक आयुक्त पुष्पेन्द्र कुमार मीणा कहते हैं कि इससे सरकार के राजस्व को नुकसान होगा, लेकिन यह एक जनहित से जुड़ा फैसला है। इससे खासकर किसानों को ज्यादा फायदा होगा।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और वाणिज्य कर (पंजीयन ) मंत्री ओपी चौधरी ने किसानों की समस्याओं को देखते हुए इस व्यवस्था में बदलाव के निर्देश दिए थे, ताकि किसानों को ज्यादा परेशानी न हो। बता दें कि पूर्व की व्यवस्था में यदि किसी जमीन में इमारती पेड़ है, तो उसके लिए पटवारी का भी प्रतिवेदन लगता था। इस वजह से कागजी कार्रवाई आदि में भी विलंब होता था।