पत्रिका ने 8 जनवरी के अंक में ओटी टेबल पर सर्जरी के लिए तैयार मरीज का खून पतला नहीं हुआ और 9 जनवरी के अंक में दोगुने से ज्यादा दाम पर खरीदे खून पतला करने वाले घटिया इंजेक्शन हेडिंग से समाचार प्रकाशित किया था। खबर छपने के बाद सीजीएमएससी में हड़कंप की स्थिति है। सीजीएमएससी के ड्रग वेयरहाउस के स्टोर आफिसर ने सभी संबंधित अस्पतालों को पत्र लिखा है।
पत्र में कहा गया है कि डिवाइन लेबोरेटरी में बने हिपेरिन इंजेक्शन ड्रग कोड-डी255, बैच नंबर डीपी 2143, निर्माण तिथि 1 अगस्त 2022 व एक्सपायरी तिथि 30 जून 2025 है, को उपयोग में न लाया जाए। इस बैच के इंजेक्शन को दवा स्टोर में वापस भिजवाएं।
दरअसल इंजेक्शन को एक्सपायर होने में करीब 6 माह बचे हैं। दवा कॉर्पोरेशन के अधिकारियों के अनुसार प्रदेश के 16 वेयर हाउस में 36543 वायल व अस्पतालों में 12278 समेत 48821 वायल उपलब्ध है। ये स्थिति 9 जनवरी की है। हालांकि इसमें कुछ इंजेक्शन के बैच नंबर अलग हो सकते हैं।
रायपुर के वेयर हाउस में 9500 व जिले के अस्पतालों में 3514 वायल उपलब्ध है। ‘पत्रिका’ घटिया इंजेक्शन का खुलासा नहीं करता तो ये खप गए होते।
घटिया इंजेक्शन से मरीज की जान जाने का खतरा
डॉक्टरों के अनुसार पानी जैसे इंजेक्शन से मरीजों की जान जाने का खतरा रहता है। जांच हो तो पता चलेगा कि दूसरे अस्पतालों में इस इंजेक्शन के उपयोग से कितने मरीजों का स्वास्थ्य बिगड़ा है। दरअसल ये इंजेक्शन सर्जरी के दौरान बहुतायत में उपयोग किया जाता है।
आंबेडकर के कार्डियोलॉजी व कार्डियक सर्जरी सर्जरी में एसीटी मशीन होने के कारण रीडिंग पता चलता है और इंजेक्शन की क्वालिटी का पता चल गया। दूसरे अस्पतालों में ये मशीन नहीं है।