CG News: इस पहल के अंतर्गत प्रशासन ने आयुर्वेद को स्थानीय लोगों के जीवन में समिलित करने के लिए विशेष रूप से जिले के वंनाचल ग्राम सिंगपुर (बूटीगढ़) में आयुष रसशाला (औषधीय पेय केंद्र) की स्थापना की गई है। इस केंद्र में राशि रत्न पौधों को लगाएं जा रहे हैं। पहले चरण में बूटीगढ़ में 25,000 पौधे लगाए गए हैं।
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CG News: रस शाला में छात्रों और पर्यटकों को मिलेगा लाभ
बताया जाता है कि बूटीगढ़ क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से औषधिगुणयुक्त पौधे पाए जाते हैं, इसलिए यहां हर्बेरियम का निर्माण किया जा रहा है। औषधिगुण युक्त पौधों के संवर्धन, प्रचार-प्रसार और उपयोगिता के लिए रसशाला निर्मित किया जा रहा है। इस रसशाला के माध्यम से स्थानीय लोगों, छात्रों और पर्यटकों को रसपान का लाभ मिलेगा।विलुप्त जड़-बूटियों को भी सहेज रहे
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. अवध पचौरी ने बताया कि 160 प्रकार की जड़ी-बूटियों को चिन्हित किया गया है। इनमें से कुछ ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जिन्ह उपचार के लिए चूर्ण या टैबलेट बनाकर इस्तेमाल भी किया जा रहा है। समय के साथ जब बूटीगढ़ विकसित होने लगेगा तो रसशाला के जरिए लोगों को आयुर्वेद के प्रति और भी जागरूक किया जा सकता है। डॉ. पचौरी ने बताया कि बूटीगढ़ में विलुप्त होने वाली जड़ी-बूटियों को भी सहेजा जा रहा है, ताकि भविष्य में इन पर शोध हो सके।हृदय रोगियों के लिए रामबाण है ‘अर्जुन क्षीरपाक’
डॉ. अवध पचौरी के मुताबिक कोविड काल के बाद से ही लगातार ये देखा जा रहा है कि अचानक हार्ट अटैक से किसी भी उम्र वर्ग के व्यक्ति की ऑन-द-स्पॉट मृत्यु हो रही है, जान बचाने के लिए समय भी नहीं मिल पा रहा है, जो एक चिंता का विषय बन चुका है। आयुर्वेद में अर्जुन पेड़ की छाल से बनें ‘अर्जुन क्षीरपाक’ के नियमित सेवन इंस्टेंट हार्ट अटैक के मामलों में कमी लाई जा सकती है। अर्जुन की छाल में विशेष औषधीय गुण होते हैं, जो हृदय की धमनियों को मजबूती प्रदान करते हैं और हृदय की मांसपेशियों को शक्ति देते हैं। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यधिक लाभकारी है, जिन्हें हृदय संबंधी समस्याएं हैं या जिनमें हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है।