CG News: जबकि, क्लेम दोगुना ही रहा। कुछ निजी अस्पतालों ने योजना को कमाई का बड़ा जरिया भी बनाया। अब इसमें लगाम लगने वाली है। प्रदेश सरकार अस्पतालों के क्लेम का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी से कराने की तैयारी कर रही है। इससे अस्पतालों के गैरजरूरी क्लेम पर लगाम लगने की संभावना है।
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CG News: पांच साल में क्लेम इस तरह
पत्रिका ने जून में आयुष्मान भारत योजना (तब डॉ. खूबचंद बघेल योजना) में पिछले 5 साल में हुए बंपर इलाज का खुलासा किया था। इसमें कुछ अस्पतालों के क्लेम पर सवाल भी उठे थे। सीरिज की 5 खुलासा करने वाली खबरें डॉक्टरों के बीच चर्चा का विषय भी रहीं। सबसे बड़ी चर्चा की बात ये रही कि ये गोपनीय डेटा पत्रिका के हाथ कैसे लगी। दरअसल ये डेटा सार्वजनिक नहीं किए जाते, लेकिन पत्रिका को एक विश्वस्त सूत्र ने यह उपलब्ध कराया था। 5 साल में हुए इलाज व क्लेम के आंकड़ों का बारीकी से अध्ययन करने पर ये साफ हुआ कि कुछ अस्पतालों ने योजना को दूधारू गाय समझ लिया है।
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2023-24 में 2153 करोड़ का इलाज
पड़ताल में पता चला कि कुछ अस्पताल सामान्य मरीजों को भी आईसीयू में रखकर इलाज कर रहे हैं। चूंकि इसका पैकेज अच्छा होता है, इसलिए कुछ निजी अस्पताल खूब फले-फूले। पिछले पांच साल में सरकारी अस्पतालों में 2002 करोड़ तो निजी अस्पतालों में 3549 करोड़ रुपए का फ्री इलाज किया गया। पांच साल पहले यानी 2019-20 में 8 लाख 22 हजार 657 क्लेम हुआ। इसके एवज में अस्पतालों को 693 करोड़ का भुगतान किया गया। वहीं पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 में 15 लाख 65 हजार 763 क्लेम किया। ये क्लेम पांच साल पहले की तुलना में दोगुना से कुछ कम है, लेकिन भुगतान तीन गुना से ज्यादा 2153 करोड़ रुपए किया गया है। यानी 2153 करोड़ रुपए का फ्री इलाज हुआ है।
अस्पताल के साथ अफसरों की मिलीभगत हो चुकी है उजागर
निजी अस्पतालों व स्टेट नोडल एजेंसी के अधिकारियों के बीच सांठगांठ नई बात नहीं है। इस साल ऐसे ही मामले में एक संविदा महिला अधिकारी की सेवा खत्म की गई थी। महिला अधिकारी पर कुछ अस्पतालों से सांठगांव कर शत-प्रतिशत भुगतान कराने का आरोप था। आंबेडकर अस्पताल में बीते वित्तीय वर्ष में 58522 मरीजों का क्लेम कर प्रदेश में अव्वल रहा। मरीजों के इलाज के एवज में क्लेम राशि 105 करोड़ रुपए है। एम्स में 72 व डीकेएस में 45 करोड़ रुपए का इलाज हुआ। इस तरह रायपुर के तीन बड़े सरकारी अस्पतालों में 222 करोड़ रुपए का इलाज किया गया। जबकि, क्लेम की संख्या एक लाख 4 हजार 900 है। डॉक्टरों को तगड़ा इंसेंटव भी मिल रहा है। वहीं 40 फीसदी राशि मुख्यमंत्री राहत कोष में जाती है। अब भाजपा सरकार ने योजना का नाम बदलकर शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य योजना कर दिया है।
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वर्ष कुल क्लेम सरकारी प्रतिशत प्राइवेट प्रतिशत
2019-20 822657 255216 31 567441 69 2020-21 442113 243982 55 198131 45 2021-22 848216 509863 60 338353 40 2022-23 1294562 883524 68 411038 32 2023-24 1565763 1092502 70 473261 30 कुल 4973311 2985087 60 1988224 40
पांच साल में क्लेम की राशि करोड़ में
2019-20 693 164 24 529 76 2020-21 417 142 34 275 66 2021-22 865 302 35 563 65 2022-23 1424 586 41 838 59 2023-24 2153 809 38 1344 62 कुल 5551 2002 36 3549 64 छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. श्यामबिहारी जायसवाल ने शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य सहायता योजना का भुगतान इंश्योरेंस कंपनी से कराने की योजना है। हम देख रहे हैं कि इसमें आम मरीजों को कोई नुकसान न हो। पिछले 5 साल में हुए फ्री इलाज के आंकड़े चौंकाने वाले तो है। अब योजना की मॉनीटरिंग कराई जाएगी। ताकि कोई भी अस्पताल इलाज में मनमानी न कर सके।