उन्होंने डीन को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि वह अनुसूचित जनजाति का छात्र है इसलिए डीन ने उनसे द्वेष रखते हुए दो बार जानबूझकर फेल किया। जबकि बाकी छात्रों को पास किया गया। डीन को शिकायती पत्र मिलने के बाद मामले की पड़ताल शुरू कर दी है। मामला कोर्ट में भी है। हैल्थ साइंस विवि को भी मामले की जानकारी भेजी गई है।
CG Medical Student: जानबूझकर फेल किया
दरअसल, कुछ एचओडी द्वारा पीजी
छात्रों को जानबूझकर फेल करने का मामला नया नहीं है। पिछले साल पत्रिका ने एक छात्रा को जानबूझकर फेल करने का मामला उठाया था। इसके बाद छात्रा पूरक परीक्षा में पास हो गई थी। छात्रा डिप्रेशन में चली गई थी, जिसे विभाग के कुछ फैकल्टी ने संभाला।
मामला तूल पकड़ने वाला था, लेकिन एचओडी ने मामले की गंभीरता को समझा और एक्सटर्नल द्वारा पास किए गए छात्रा को पहली बार फेल करने के बाद पास किया गया। ऐसा मामला दो विभागों में आ चुका है। अब के केस को मिलाकर तीसरा विभाग हो गया है। पिछले साल एक विभाग का मामला
हाईकोर्ट में भी पहुंचा था। इस मामले में परीक्षा रद्द कर दोबारा करानी पड़ी। तब फेल छात्र पास हुए थे। मामले में एक एचओडी को ट्रांसफर भी किया गया था, लेकिन बाद में रुक गया।