बाण वंश के राजा विक्रमादित्य शिव भक्त थे। शिव की बहुत पूजा-अर्चना किया करते थे। राजा चाहते थे की शिव का भव्य मंदिर बने। उन्होंने कारीगरों को भव्य शिव मंदिर बनवाने का आदेश दिया। राजा ने अपने कारीगरों को कहा कि मंदिर अपने आप में अतभुत होना चाहिए। इस कारण से इस मंदिर को कारीगरों ने लाल बालू के पत्थर से बनाया। मंदिर के गर्भगृह को अष्टकोणीय मंडप के जैसा बनाया गया। इस खास निर्माण की वजह से यह सबसे अनोखे शिव मंदिरों में से एक है। पुजारी बताते है इस मंदिर को भगवान शिव का आशीर्वाद मिला है। इस कारण सावन में भक्तों का हुजूम यहां लगता है।
सावन के मेले में उमड़ते हैं भक्त गांव के लोगों ने बताया कि सावन के महीने में हजारों श्रद्धालु यहां पर भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। साथ ही दूर-दूर से कांवरिये यहां भगवान शिव को जल चढ़ाने भी पहुंचते हैं। हर साल यहां सावन के महीने में मेले का आयोजन भी किया जाता है।