‘पत्रिका’ से बातचीत में उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र की तरफ से वैक्सीन के साथ सहमति पत्र भी भेजा गया है, साफ है कि अगर कोई व्यक्ति इस लगवाता है तो वह उसकी अपनी रिस्क होगी। कोविशील्ड (Covishield) के साथ ऐसा नहीं है। उसके ट्रायल की पूरी प्रक्रिया होने के बाद सप्लाई की गई। मुझे समझ नहीं आता कि जब इतने दिन रुके हैं तो फिर यह हड़बड़ी क्यों?
लाल आतंक का साथ छोड़ पहना था वर्दी, गुस्साए नक्सलियों ने डीआरजी जवान को घेरकर मार डाला कुछ दिन और इंतजार किया जा सकता है। वैसे भी कोवैक्सीन का इमरजेंसी ऑथराइजेशन ही है। अभी किसी प्रकार की इमरजेंसी नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री के इस बयान से सरकार का स्टैंड पूरी तरह से साफ है। उन्होंने यह भी कहा है कि ट्रायल के बाद मैं सबसे पहले कोवैक्सीन लगवाने के लिए तैयार हूं। गौरतलब है कि पूरी वैक्सीन, रायपुर के सेंट्रल वैक्सीन स्टोरेज सेंटर में रखी हैं।
टीकाकरण के लिए हम दबाव नहीं डाल सकते
प्रदेश में टीकाकरण 70 प्रतिशत कम है, इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हम किसी पर भी दबाव नहीं डाल सकते हैं। यह स्वेच्छिक है। हां, इतना जरूर है कि अभी भी वैक्सीन को लेकर लोगों में जागरुकता की कमी है। वैक्सीन के अब तक नतीजे बताते हैं कि इसका कोई साइड-इफैक्ट नहीं है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है।
BJP छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय हुए कोरोना वायरस से संक्रमित, Tweet कर दी जानकारी अब तक 62 हजार से अधिक कोविशील्ड डोज का इस्तेमाल
प्रदेश में 3 लाख के करीब हेल्थ केयर वर्कर्स के नाम कोविन पोर्टल में दर्ज हैं। 16 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण अभियान के तहत 28 जनवरी तक 62,107 वर्कर्स को टीके लग चुके हैं। करीब 250 डोज खराब हुई हैं। गौरतलब है कि राज्य को कोविशील्ड के 3.23 लाख डोज मिले हैं। अभी जिस रफ्तार से टीकाकरण हो रहा है, उससे अनुमान है कि कोविशील्ड 40 दिन से अधिक तक चल सकती है। संभव है कि तब तक कोवैक्सीन के नतीजे आ ही जाएंगे।