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CG Elephant: 15 नर हाथियों को पहनाएंगे रेडियो कॉलर
वन विभाग द्वारा कर्नाटक से रेडियो कॉलर लाए गए हैं, जिसकी एक पट्टी लगाने में लगभग 2 से 3 लाख रुपए का खर्च आता है। इस योजना के तहत राज्य के 15 नर हाथियों को रेडियो कॉलर(Radio Coller)पहनाया जाएगा। अक्टूबर से शुरू होने वाले इस अभियान के लिए वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. पवन चंदन व डॉ. राकेश वर्मा के साथ विशेषज्ञों की एक टीम बुलाई जाएगी। 2018 में पहले भी 6 हाथियों(CG Elephant) को रेडियो कॉलर लगाया गया था, लेकिन उनमें से 5 के कॉलर टूट गए थे और शेष कॉलर सही तरीके से लोकेशन नहीं बता पाए थे। अब इस योजना को बेहतर तरीके से लागू करने की कोशिश की जा रही है।राज्य में 20 दलों में 375 हाथी
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लगभग 375 हाथी हैं, जो 20 अलग-अलग दलों में बंटे हुए हैं। ये हाथी अक्सर ओडिशा और झारखंड से आकर प्रदेश के 12 से अधिक जिलों में घुस जाते हैं, जिनमें सरगुजा, धमतरी, गरियाबंद, महासमुंद और बालोद जिले प्रमुख हैं। हाथियों द्वारा फसलों, घरों और मानव जीवन को नुकसान पहुंचाने के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। यह भी पढ़ें
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एक रेडियो कॉलर वजन 15 किलो का
रेडियो कॉलर का वजन 15 किलो होता है और कई बार हाथी इन्हें पेड़ों से रगड़कर गिरा देते हैं। लाइफ तीन से चार साल की होती है, इसके बाद इन्हें बदलना पड़ता है। इस समस्या को हल करने के लिए वन विभाग अब नई तकनीकों का उपयोग करने पर जोर दे रहा है।स्थानीय लोगों जागरूक करने विशेश अभियान
तकनीकी उपायों के अलावा वन विभाग ने स्थानीय लोगों को हाथियों के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। 39 हाथी मित्र दल के 384 सदस्य वर्तमान में हाथियों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और ग्रामीणों को समय-समय पर हाथियों के मूवमेंट की जानकारी देकर सुरक्षित रखने का प्रयास कर रहे हैं। वाइल्ड लाइफ के पीसीसीएफ सुधीर अग्रवाल जंगल सफारी से हम हाथियों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं और रेडियो कॉलर तथा एआई तकनीक का उपयोग करके उनकी निगरानी को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इससे हाथी-मानव संघर्ष की घटनाओं को कम करने में मदद मिलेगी।