CG Elephant: घायल हाथी के बच्चे की हालत में सुधार, वन विभाग बोला- शांति बनाए रखें
CG Elephant: रायपुर में सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व में पोटास बम से घायल हुए हाथी के बच्चे का उपचार जारी है। वन विभाग की टीम लगातार उसकी स्थिति पर नजर बनाई हुई है।
CG Elephant: छत्तीसगढ़ के रायपुर में सीतानदी-उदंती टाइगर रिजर्व में पोटास बम से घायल हुए हाथी के बच्चे का उपचार जारी है। वन विभाग की टीम लगातार उसकी स्थिति पर नजर बनाई हुई है। धीरे-धीरे उसके स्वास्थ्य में सुधार देखा जा रहा है।
हालांकि, इस उपचार अभियान में ग्रामीणों का शोर बड़ी चुनौती बना हुआ है, जिससे हाथियों के झुंड को संभालना मुश्किल हो रहा है। वन विभाग ने ग्रामीणों से शांत रहने की अपील की है ताकि उपचार बाधित न हो।
CG Elephant: दवाई के लड्डू से उपचार में सहायता: वन विभाग के अनुसार, 10 से 12 नवंबर तक हाथियों का दल घायल बच्चे के साथ पहाड़ी इलाके में रुका रहा। 12 नवंबर को वन्यप्राणी चिकित्सा टीम ने महुआ और गुड़ में दवा मिलाकर बच्चे के लिए लड्डू तैयार किए, ताकि उसे खिलाकर उपचार में सहायता की जा सके।
हालांकि, शुरू में बच्चे ने खाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। लेकिन शाम को जब हाथियों का झुंड पहाड़ से नीचे उतरा, तो घायल बच्चा तालाब में अन्य हाथियों के साथ खेलता और पानी में गोते लगाता दिखा।
सहयोग की अपील
वन विभाग ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे हाथियों के झुंड के आसपास शांति बनाए रखें और उन्हें किसी तरह से परेशान न करें। विभाग ने कहा कि यह न केवल घायल हाथी के बच्चे के उपचार में सहायक होगा बल्कि पूरे हाथी परिवार के लिए भी सुरक्षित माहौल बनाएगा। विभाग के प्रयासों और सतर्कता से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हाथी के बच्चे की स्थिति में तेजी से सुधार हो और वह जल्द ही पूरी तरह स्वस्थ हो जाए।
सतर्कता और निगरानी से बच्चे की हालत में सुधार
वन विभाग और धमतरी सामान्य वन मंडल की टीमें मिलकर इस पूरे अभियान को अंजाम दे रही हैं। धमतरी के सिकासेर क्षेत्र में हाथियों के दल के प्रवेश के बाद से वन विभाग की टीम ड्रोन कैमरों से उनकी स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है। अब तक की निगरानी में घायल हाथी के बच्चे की स्थिति में सुधार देखा गया है। वह अपने झुंड के साथ खेलते हुए नजर आ रहा है, जो उसके स्वास्थ्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
ग्रामीणों का शोर बना उपचार में बाधा
वन विभाग के उपनिदेशक वरुण जैन ने बताया कि हाथी के बच्चे की स्थिति में सुधार है। लेकिन ग्रामीणों का शोर उपचार में बाधा उत्पन्न कर रहा है। जब हाथियों का झुंड गांव के पास आता है तो अक्सर ग्रामीण पटाखे फोड़ते हैं या शोर मचाते हैं। जिससे हाथियों के उग्र होने का खतरा रहता है। इससे हाथियों का झुंड बिखर सकता है, और घायल बच्चे की देखभाल करना कठिन हो जाता है।
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