रायपुर

अफसरों ने राजनीतिक वादों से बनाई दूरी, विवादों से बचने के लिए पारंपरिक ढंग से तैयार कर रहे बजट

प्रदेश में नई सरकार के गठन से पहले अफसरों ने अपने स्तर पर बजट की प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी है

रायपुरDec 09, 2018 / 04:38 pm

Deepak Sahu

अफसरों ने राजनीतिक वादों से बनाई दूरी, विवादों से बचने के लिए पारंपरिक ढंग से तैयार कर रहे बजट

रायपुर. प्रदेश में नई सरकार के गठन से पहले अफसरों ने अपने स्तर पर बजट की प्रारंभिक तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि इस बार का बजट 90 हजार करोड़ से अधिक का होगा, लेकिन फिलहाल इसमें राजनीतिक दलों के वादों और घोषणाओं से अधिकारी एक दूरी बनाकर ही चर्चा कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि बजट की सामान्य चर्चाओं में राजनीतिक घोषणापत्रों की कोई चर्चा तक नहीं हो रही है। अधिकारियों का कहना है कि राजनीतिक वादों को नई सरकार के निर्देश के बाद ही चर्चा में शामिल किया जाएगा।
नई सरकार के लिए बजट बनाने वित्त विभाग ने तैयारी तेज कर दी है। पहले दौरान सभी विभागों के प्रमुखों के साथ बजट की जरूरतों पर चर्चा हो चुकी है। अब सचिव स्तर पर चर्चा परिणामों की घोषणा के बाद 19 दिसम्बर से शुरू होगी। बजट बनाने के काम में लगे अफसरों का कहना है कि फिलहाल किसी भी राजनीतिक दल के वादों को बजट में जगह नहीं दी जा रही है।
अफसरों का मानना है कि ऐसे करने पक्षपात का आरोप लग सकता है। वहीं बजट को अंतिम रूप देने से पहले वित्त विभाग विभागीय मंत्रियों से भी चर्चा करता है। माना जा रहा है कि विभागीय मंत्रियों की चर्चा के बाद ही जिसकी सरकार बनती है, उसकी कुछ घोषणाओं को बजट में जगह दी जा सकती है।

कांग्रेस को लगेंगे 12 से 15 हजार करोड़
यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है, तो उसे अपने वादों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त राशि के रूप में 12 से 15 हजार करोड़ की आवश्यकता होगी। कर्ज माफी की मांग में 1200 से 3300 करोड़ का खर्च आ सकता है। यह राशि अभी स्पष्ट नहीं है। जबकि बेरोजगारों को भत्ता देने के लिए कांग्रेस को हर माह 250 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी। धान खरीदी का 450 रुपए प्रति क्विंटल देने के लिए 2800 से 3200 करोड़ रुपए लगेंगे। कांग्रेस की हेल्थ स्क्रीम लागू करने में थोड़ा समय लेगा। इसके लिए कांग्रेस 4500 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी।

भाजपा को लगेंगे 10 से 12 हजार करोड़
यदि प्रदेश में चौथी बार भाजपा की सरकार बनती है, तो उसे अपने वादों को पूरा करने के लिए बजट के अतिरिक्त 10 से 12 हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी। बच्चों को नि:शुल्क साइकिल और 12वीं तक नि:शुल्क पाठ्यपुस्तक देने में लगभग 3000 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। 60 साल से अधिक बुजुर्ग किसानों को 1000 रुपए प्रतिमाह पेंशन देने में करीब 350 करोड़ रुपए लगेगा। राजधानी में बनाने वाले फिल्म सिटी के निर्माण में लगभग 350 करोड़ का खर्च प्रस्तावित है। मेधावी छात्राओं को स्कूटी देने में लगभग 600 करोड़ खर्च होंगे।

भाजपा के प्रमुख वादे
– 60 वर्ष से अधिक आयु के लघु एवं सीमांत किसानों व भूमिहीन कृषि मजदूरों को 1000 रुपए प्रतिमाह पेंशन।
– लघु वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढकऱ होगा 1.5 गुना।
– कक्षा 9वीं में प्रवेश लेने वाले समस्त छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क साइकिल।
– 12वीं तक के सभी छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क गणवेश एवं पाठ्य पुस्तकें।
– मेधावी छात्राओं को यातायात में सुविध्णा देने के लिए नि:शुल्क स्कूटी।
– जिला अस्पताल बनेंगे मल्टी स्पेशलिटी, अंबिकापुर एवं जगदलपुर में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल।
– युवाओं को रोजागार सुनिश्चित करने कौशल उन्नयन भत्ता।

कांग्रेस के प्रमुख वादे
– सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर किसानों का कर्जा माफ
– किसानों को 2 वर्ष के धान के बकाया बोनस का भुगतान होगा.
– धान की खरीदी होगी 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से। मक्का 1700 रुपए, सोयाबीन 3500 रुपए, गन्ना 350 रुपए, चना 4700 रुपए की दर से खरीदेंगे।
– सबका बिजली बिल आधा होगा।
– 10 लाख बेरोजगार युवाओं को सामुदायिक विकास व समाज सेवी गतिविधियों में भाग लेेने पर न्यूनतम माह रुपए 2500।
– प्रत्येक परिवार को 35 किलो चावल प्रति माह रुपए 1 की दर से फिर से मिलेगा।
– गरीब परिवारों को नियंत्रित दर पर तेल, दाल, नमक, चीनी और मिट्टी को तेल मिलेगा।
– शिक्षा के अधिकार को कक्षा बारहवीं तक लागू किया जाएगा।

जनता को इसलिए मिल सकता है फायदा
प्रदेश में सरकार किसी की भी बने, पहले बजट में जनता को थोड़ा फायदा हो सकता है। दरअसल, चार से पांच महीने बाद ही लोकसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में कोई भी सरकार यह नहीं चाहेगी कि उनके ऊपर वादाखिलाफी का आरोप लगे। ऐसे में नई सरकार पहले बजट में जनता को बड़ी राहत दे सकती है।

ऐसे होगी सचिव स्तर पर चर्चा
– 19 दिसम्बर को- विमानन विभाग, श्रम विभाग, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी व जनसंपर्क विभाग, वाणिज्यिक कर विभाग, समाज कल्याण विभाग।
– 20 दिसम्बर को- योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी एवं बीस सूत्रीय कार्यक्रम, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विभाग।
– 21 दिसम्बर को- ऊर्जा विभाग, सामान्य प्रशासन व सहकारिता विभाग, सांसदीय कार्य व ग्रामोद्योग, वाणिज्य एवं उद्योग, सार्वजनिक उपमक्र, वाणिज्यिक कर (आबकारी), राजस्व एवं आपदा प्रबंधन।
– 22 दिसम्बर को- उच्च शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, खनिज संसाधन, लोक निर्माण।
– 26 दिसम्बर को- स्कूल शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, विधि एवं विधायी कार्य।
– 27 दिसम्बर को- खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, सामान्य प्रशासन, गृह एवं जेल, परिवहन।
– 28 दिसम्बर को- पंचायत एवं ग्रामीण विकास, वन, कृषि, मछलीपालन, पशुपालन।

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