CG Election: चुनाव से जुड़े नियमों में बदलाव
साय सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के फैसले को पलट दिया है। इसके अलावा नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के आरक्षण नियम में भी बदलाव किया गया है। कैबिनेट की बैठक नगरीय निकाय चुनाव से जुड़े नियमों में बदलाव करने का फैसला हुआ है। इसके तहत कैबिनेट ने संशोधित छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम, 1956 (संशोधन) अध्यादेश 2024 एवं छत्तीसगढ़ नगर पालिका अधिनियम 1961 (संशोधन) अध्यादेश 2024 (प्रत्यक्ष निर्वाचन एवं आरक्षण संबंधित प्रावधान) की विभिन्न धाराओं में संशोधन करेगी।
अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से मिला था अधिकार
जनता को महापौर और अध्यक्ष चुनने का अधिकार अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से दिया गया था। अविभाजित मध्य प्रदेश राज्य में 1999 के पूर्व नगर पालिक निगमों में महापौर तथा नगर पालिकाओं के अध्यक्ष का निर्वाचन प्रत्यक्ष रीति से होता था। राज्य निर्माण के बाद यह नियम छत्तीसगढ़ में भी लागू था। इसके बाद वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता का परिवर्तन हुआ और तत्कालीन कांग्रेस ने इनका निर्वाचन को अप्रत्यक्ष रीति से कराए जाने का निर्णय लिया था।
इसकी अधिसूचना का प्रकाशन राजपत्र में 12 दिसम्बर 2019 को किया गया था। इसके बाद हुए निकाय चुनाव में पार्षदों ने महापौर को चुना था। इसका फायदा कांग्रेस को मिला था। अधिकांश निकायों में महापौर और अध्यक्ष के पद पर कांग्रेस का कब्जा हुआ था।
ओबीसी वर्ग को 50 फीसदी तक आरक्षण
कैबिनेट ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में आरक्षण नियमों में भी बदलाव किया है। राज्य सरकार ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट से मिले दिशा-निर्देशों के अनुसार किया है। निर्णय के अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण के संबंध में स्थानीय निकायों में आरक्षण को एकमुश्त सीमा 25 प्रतिशत को शिथिल कर अन्य पिछड़ा वर्ग की संख्या के अनुपात में 50 प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा तक आरक्षण के प्रावधान को मंजूरी दी गई है। इसी तरह त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व एवं आरक्षण संबंधी प्रावधानों में संशोधन किए जाने के लिए विभिन्न धाराओं में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया।
मतपत्र के जरिए ही चुनाव होने के संकेत
CG Election: पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव प्रणाली में एक अन्य अहम बदलाव किया था। पिछली बार निकाय चुनाव ईवीएम की जगह मतपत्र के जरिए हुए थे। इसके भूपेश सरकार ने निकाय और निर्वाचन अधिनियम में बदलाव किया था। इसके बाद चर्चा थी कि वर्तमान सरकार भी नियम में बदलाव कर सकती है। हालांकि सोमवार को हुई कैबिनेट में इस संबंध में कोई फैसला होने का जिक्र नहीं है। सरकार ने नियमों में अभी कोई बदलाव नहीं किया है। ऐसे में इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि निकाय चुनाव मतपत्र के जरिए ही होंगे। त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव मतपत्र के जरिए ही होते आए है।