वहीं कांग्रेस में अभी लिस्ट जारी होने का इंतजार है। इसमें हो रही देरी से कार्यकर्ताओं में भी निराशा है। उनका कहना है कि नगरीय निकाय और त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव का बिगुल बज गया है, लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है कि दावेदारी कहां और कैसे करें? इसके अलावा प्रदेश कार्यकारिणी के भी उपाध्यक्ष और महामंत्री जैसे पदों पर नियुक्ति नहीं हो सकी है।
कांग्रेस में संगठन बदलाव को लेकर कई महीनों से होमवर्क चल रहा है। प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर सूची को अंतिम रूप दिया गया है। इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बैज सहित अन्य वरिष्ठ नेता दिल्ली तक की दौड़ लगा चुके हैं।
जानकारों का कहना है कि सूची लगभग फाइनल है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व की ओर से हरी झंडी मिलने में ही देरी हो रही है। कांग्रेस को इसका सीधा नुकसान नगरीय निकाय चुनाव में देखने को मिल सकता है। बता दें कि वर्तमान में प्रदेश के सभी नगर निगमों में कांग्रेस का कब्जा था। इस बार सत्ता परिवर्तन के बाद कार्यकर्ताओं में थोड़ी निराशा है। साथ ही कांग्रेस को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ा था।
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