Epidemiological Research Institute: संस्थान खुलने का बड़ा फायदा
संस्थान शुरू होने के बाद रिसर्च को भी बढ़ावा मिलेगा। देश में ऐसे संस्थान गिने-चुने ही है। संस्थान में बायो स्टेटिक्स, सर्टिफिकेट कोर्स व पीएचडी प्रोग्राम चलाया जाएगा। अभी हैल्थ साइंस विवि में कहीं भी पीएचडी प्रोग्राम नहीं चल रहा है। संस्थान खुलने का बड़ा फायदा ये होगा कि महामारी पर केंद्रित सर्टिफिकेट कोर्स किया जाएगा। इससे जुड़े रिसर्च होने से बीमारियों के इलाज में भी फायदा होगा। किसी बीमारी का क्या ट्रेंड है या इसका क्या बेहतर इलाज हो सकता है, ये भी पता चलेगा। 16 सितंबर को विवि में आयोजित स्थापना दिवस समारोह में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च चेन्नई व विवि के अधिकारियों के बीच एमओयू हुआ। चेन्नई टेक्निकल चीजों में विवि की मदद करेगा।
Institute for Epidemiological Research चूंकि ये संस्थान प्रदेश के लिए नया होगा इसलिए अधिकारियों के अनुसार टेक्निकल मदद जरूरी है। इससे ही फैकल्टी समेत स्टूडेंट्स को बेहतर मदद मिल सकेगी।
प्रदेश में नए युग की होगी शुरूआत
संस्थान के शुरू होने से महामारी के अनुसंधान व नियंत्रण को बढ़ावा मिलेगा। रिसर्च वर्क बढ़ने से युवाओं को फायदा होगा। यही नहीं महामारी विज्ञान अनुसंधान, रोग नियंत्रण व प्रबंधन में मदद मिलेगी। कोरोना बीमारी महामारी थी, लेकिन प्रदेश में खास रिसर्च नहीं हुआ। हालांकि मरीजों में 60 फीसदी से ज्यादा पुरुष थे, ये डेटा एस की स्टडी में सामने आया है। वहीं, नेहरू मेडिकल कॉलेज में लैब के साइंटिस्ट व उनकी टीम ने ऐसी किट बनाई है, जो कोरोना की गंभीरता को बता देगी। हालांकि रिसर्च बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इस किट की प्रासंगिकता अभी इसलिए नहीं है, क्योंकि प्रदेश व देश में इसके मरीज नहीं के बराबर है। भविष्य के लिए ये फायदेमंद हो सकता है, लेकिन कब होगा, इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता।
डॉ. पीके पात्रा, कुलपति हैल्थ साइंस विवि
महामारी विज्ञान रोग नियंत्रण एवं
सेंट्रल इंडिया का पहला संस्थान होगा। यहां पीजी कोर्स, फेलोशिप व पीएचडी प्रोग्राम कराया जाएगा। रिसर्च वर्क भी बढ़ावा मिलेगा। Epidemiological Research Institute शासन से स्वीकृति मिलते ही फैकल्टी समेत अन्य पदों पर भर्ती की जाएगी।
फैकल्टी समेत 16 पदों पर होगी भर्ती
Epidemiological Research Institute: महामारी विज्ञान रोग नियंत्रण एवं अनुसंधान संस्थान में फैकल्टी समेत 16 पदों पर भर्ती की जाएगी। विवि ने इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को पहले ही भेज दिया है। वहां से मंजूरी मिलते ही भर्ती की जाएगी। इसमें विभिन्न पद शामिल है, जो संस्थान के लिए जरूरी है। विवि के अधिकारियों ने बताया कि सर्टिफिकेट कोर्स से लेकर पीएचडी प्रोग्राम के लिए फैकल्टी व सीनियर फैकल्टी यानी गाइड की जरूरत पड़ेगी। ताकि ये स्कॉलर को गाइड कर सके।