नक्सली प्रभावित राज्यों में चुनाव के कारण पिछले काफी समय से अभियान नहीं चलाया गया है। इसके कारण वे लगातार संगठित होकर वारदात को अंजाम दे रहे है। अंदरूनी इलाकों में विकास कार्यों की गति धीमी हो गई है। वहीं स्थानीय निवासी भी उनके करतूतों से परेशान हो गए है। उनके लगातार सिमटते हुए दायरे को समाप्त करने के लिए ही इसकी योजना तैयार की गई है। बता दें कि केंद्र सरकार ने 2022 तक नक्सली को समाप्त करने का विजय तैयार किया है। इसे ध्यान में रखते हुए तैयारियां चल रही है। बता दें कि राज्य के सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और राजनांदगांव के कुछ को टारगेट में लेकर काम किया जा रहा है।
ऑपरेशन से जुड़े आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि योजना के तहत सर्वाधिक प्रभावित इलाके में यह अभियान चलाया जाएगा। उससे लगे हुए सीमावर्ती राज्य की फोर्स भी अपने क्षेत्र में मूवमेंट करेगी। इस दबाव के चलते बडी़ संख्या में नक्सलियों को आत्मसमर्पण करने के साथ ही भागना पड़ेगा। उनकी अनुपस्थिति में स्थानीय नागरिकों में सुरक्षा की भावना जागृत करने के साथ ही विकास कार्य करवाए जाएंगे। बता दें कि 28 जनवरी को पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक का आयोजन रायपुर में किया गया है।
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