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इसके आधार पर विभागों ने प्रारंभिक होमवर्क करना शुरू कर दिया है। उन्हें इस बात का अंदाजा है कि विधानसभा चुनाव के बाद जो सरकार चुनकर आएंगी, उसकी प्राथमिकता के आधार पर बजट तैयार करना होगा। यही वजह है कि वित्त विभाग अपनी तैयारी करने के बाद मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ जनवरी में अलग-अलग चर्चा करेगा। इसके बाद ही बजट को अंतिम रूप दिया जाएगा।
वित्त विभाग ने सभी विभागों से चरणबद्ध तरीके के साथ चर्चा करनी शुरू कर दी है। इसके लिए विभागों को कहा गया है कि वे प्राथमिकता के आधार पर नए प्रस्ताव की जानकारी दें, ताकि उस पर विस्तार से चर्चा हो सके। साथ ही विभागों से कहा गया है कि यदि कोई योजना केंद्र सरकार के जैसी हो तो उसे निरस्त करें, ताकि उस राशि का उपयोग नई योजनाओं में किया जा सकें।
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मुख्य बजट के बराबर हो सकती है कर्ज की राशि इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा दोनों आम जनता के लिए दिल खोलकर घोषणाएं की है। इसे पूरा करने के लिए बजट में राशि की व्यवस्था करना अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। यदि फिर बड़ा कर्ज लेने की स्तिथि निर्मित होगी, तो कर्ज की राशि मुख्य बजट के बराबर हो सकती है। अभी जो कर्ज है, वो मुख्य बजट का 71 फीसदी है। ऐसे में कर्ज के ब्याज के रूप में ही सरकार को मोटी रकम खर्च करनी होगी। यह भी पढ़ें