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रायपुर

20 करोड़ की मशीन खरीदी, 6 साल में चालू करने की मंजूरी नहीं ले पाए, नतीजा- कबाड़

Raipur News: आंबेडकर अस्पताल में कैंसर जांच के लिए 20 करोड़ की पेट स्कैन मशीन है। लेकिन, इसका कोई फायदा नहीं। अस्पताल प्रबंधन पिछले 6 साल में इसे चालू करने की मंजूरी नहीं ले पाया है।

रायपुरJul 15, 2023 / 11:49 am

Khyati Parihar

Bought a machine worth 20 crores, could not get permission to start

20 करोड़ की मशीन खरीदी, 6 साल में चालू करने की मंजूरी नहीं ले पाए

Chhattisgarh News: रायपुर। आंबेडकर अस्पताल में कैंसर जांच के लिए 20 करोड़ की पेट स्कैन मशीन है। लेकिन, इसका कोई फायदा नहीं। अस्पताल प्रबंधन पिछले 6 साल में इसे चालू करने की मंजूरी नहीं ले पाया है। नतीजतन मशीन धूल खाकर कबाड़ हो रही है। एक ओर प्रशासकीय स्वीकृति की फाइल ऑफिस दर ऑफिस भटक रही है। दूसरी ओर, कैंसर जांच के लिए आए मरीज प्राइवेट डायग्नोस्टिक में भटकने को मजबूर हैं।
आंबेडकर अस्पताल में कैंसर जांच के लिए 2017 में पेट स्कैन मशीन की खरीदारी की गई थी। सरकार बदलते ही इसकी खरीदारी पर बवाल कट गया। प्रशासकीय अनुमति लिए बिना मशीन खरीदी गई। पेमेंट भी हो गया। मामले थाने तक भी पहुंचा। बाद में प्रशासकीय अनुमति की फाइल चली, जो आज तक स्वास्थ्य विभाग से बाहर नहीं निकल पाई है। शासन स्तर पर मामला अटका होने की वजह से मशीन बंद पड़ी है। बता दें कि पेट स्कैन में 20 हजार रुपए का खर्च आता है। आंबेडकर (chhattisgarh hindi news) अस्पताल के क्षेत्रीय कैंसर संस्थान में हर दिन की ओपीडी 500 के करीब है। इनमें से 10-12 मरीज ऐसे होते हैं जिन्हें पेट सीटी स्कैन कराने की सलाह दी जाती है। ऐसे में लोग मजबूरन निजी डायग्नोस्टिक में जाने को मजबूर हैं। यानी जरूरतमंद मरीजों की जेब पर हर दिन 2 लाख रुपए का भार आ रहा है।
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मशीनों पर एक नजर

मशीन कुल संख्या बंद
सोनोग्राफी 6 3
एक्स-रे (सीआर) 2 2
एक्स-रे 2 1
एमआरआई 2 1
लिथोट्रिप्सी 1 1

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पीपीपी मोड पर चलाने की योजना, 3 साल मेंटेनेंस भी

2017 में जब पेट स्कैन मशीन की खरीदारी की गई थी, जब तय हुआ था कि इसे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर चलाया जाएगा। यही वजह है कि इस जांच का शुल्क भी कभी तय नहीं हो पाया। हालांकि, मशीन शुरू होती तो विभिन्न योजनाओं के तहत (raipur hindi news) यह जांच निशुल्क हो सकता था। लेकिन, ऐसा नहीं हो पाया। इधर, अस्पताल को मशीन सप्लाई करने वाली कंपनी ने 3 साल तक मेंटेनेंस का वादा किया था। काम शुरू नहीं हुआ तो मेंटेनेंस भी नहीं। कुल मिलाकर इस काम में मशीन सप्लाई करने वाली कंपनी फायदे में रही। लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिला।
सोनोग्राफी, एमआरआई समेत अन्य जांच का भी हाल-बेहाल

आंबेडकर अस्पताल में अन्य जांच सुविधाओं का भी हाल-बेहाल है। सोनोग्राफी, एमआरआई, एक्स-रे समेत कई मशीनें या तो खराब हो चुकी हैं या आउटडेटेड हो चुकी हैं। समय-समय नपर अपग्रेड नहीं होने की वजह से ये मशीनें भी बंद पड़ गई हैं। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में बड़ी आस लेकर आए मरीजों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जिन (Ambedkar Hospital) मशीनों में जांच हो रही है, वहां भी इतनी लंबी कतार है कि लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

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