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इस दौरान ये बात सामने आई कि ज्यादातर स्कूलों में अभी कोर्स ही पूरा नहीं हुआ है। पूरी ताकत लगाकर भी अगर पढ़ाई कराए जाए तो फरवरी अंत तक कोर्स ही पूरा हो पाएगा। रिवीजन की कोई संभावना नहीं है। रिवीजन से ही बच्चे किसी विषय को बेहतर समझ पाते हैं। ऐसे में समझ सकते हैं कि चुनावी ड्यूटी और त्योहारी छुट्टियां बच्चों की पढ़ाई के सामने कितना बड़ा रोड़ा साबित होने वाली हैं।
ईएल दिसंबर तक ही, छुट्टी लेने की होड़ बोर्ड परीक्षा की तैयारी में ठंड और छुट्टियां भी रोड़ा बनती जा रहीं हैं। शीतकालीन छुट्टियां तो लगेंगी ही, छुट्टियों का एक बड़ा पेंच ईएल (अर्नड लीव) भी है। दरअसल, शिक्षकों के ईएल की गणना जनवरी से दिसंबर के बीच होती है। जिन शिक्षकों ने अपनी ईएल नहीं ली, वे अब इसके लिए आवेदन कर रहे हैं। जाहिर है कि यह भी आगे सिलेबस कंप्लीट कराने में बड़ा रोड़ा साबित होगा। हालांकि, स्कूल शिक्षा विभाग ऐसी व्यवस्था बनाने में लगा है जिससे ज्यादा शिक्षकों को एक बार में छुट्टी न मिले।
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सभी 1.80 लाख की लगा दी थी ड्यूटी छत्तीसगढ़ में फिलहाल 1.80 लाख शिक्षक हैं। लगभग सभी शिक्षकों की विधानसभा चुनाव में ड्यूटी लगाइ गई थी। पहले तो प्रशिक्षण के नाम पर 6 दिन स्कूलों में पढ़ाई ठप रही। फिर वोटिंग और काउंटिंग को मिलाकर तकरीबन एक हफ्ते की छुट्टी। इस तरह चुनावों के चलते स्कूलों में लगभग 2 हफ्ते पढ़ाई ठप रही। बता दें कि प्रदेश में अब भी 17 हजार शिक्षकों की कमी है।
पत्रिका के सामने छलका स्टूडेंट्स का दर्द…केस 1: सिलेबस अधूरा, समझ नहीं आ रहा क्या करें! बीरगांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा नीलम (बदला हुआ नाम) ने बताया, बारहवीं में बायो की स्टूडेंट हूं। फिजिक्स की पढ़ाई तो लगभग पूरी हो चुकी है। लेकिन, केमेस्ट्री और जीवन विज्ञान की पढ़ाई 50 फीसदी भी नहीं हुई है। मेरी तरह मेरे और दोस्त भी परेशान हैं। समझ नहीं आ रहा कि बोर्ड एग्जाम कैसे दिलाएंगे!
केस 2: अधूरे कोर्स के साथ पहला, बोर्ड एग्जाम कैसे दूं! सेजबहार के स्कूल में पढ़ने वाले प्रिंस (बदला हुआ नाम) ने बताया, हिंदी, इंग्लिश, विज्ञान और गणित की पढ़ाई 60 प्रतिशत भी नहीं हुई है। अभी कोर्स ही पूरा नहीं हुआ तो रिवीजन का सवाल भी नहीं उठता। ये मेरा पहला बोर्ड एग्जाम है। आधे-अधूरे कोर्स के साथ मैं पहली बोर्ड परीक्षा कैसे दे पाऊंगा, कुछ समझ नहीं आ रहा है।