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इधर, ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के मरीजों की दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। प्रदेश के दुर्ग, बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, बेमेतरा, बलौदबाजार, महासमुंद व राजनांदगांव, कोरबा, सूरजपुर, कोरिया व बलरामुपर, धमतरी, सरगुजा, बालोद व मुंगेली, कोंडगांव, गरियाबंद और कांकेर आदि जिलों से 285 मरीज मिल चुके हैं। इसमें से 154 की सर्जरी तथा 21 स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं। ब्लैक फंगस से 18 की अब तक मौत हो चुकी है। इसके अलावा 11 ऐसे मरीजों की मौत हुई है, जिन्हें ब्लैक फंगस तो था लेकिन मौत हार्ट अटैक, निमोनिया आदि दूसरे कारणों से हुई है।यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के इस गांव में एक परिवार की 4 पीढ़ी के 57 सदस्यों में आधे की दुनिया अंधेरी, एक की पत्नी भी छोड़ गई
एम्स (AIIMS) में सबसे ज्यादा 150 मरीज भर्ती हो चुके हैं, जिसमें 102 की सर्जरी की जा चुकी है। 10 ठीक होने के बाद डिस्चार्ज हुए हैं। आंबेडकर अस्पताल में 24, भिलाई सेक्टर-9 हॉस्पिटल में 24 तथा बाकी निजी अस्पताल व प्रदेश के अन्य जिलों के मेडिकल कॉलेज में भर्ती होकर इलाज करा रहे हैं। प्रदेश में 11 मई से ब्लैक फंगस के मरीज मिलना शुरू हुए थे, जो धीरे-धीरे बढ़ते जा रहे हैं।
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रायपुर एम्स के निदेशक डॉ. नितिन एम नागरकर ने कहा, ब्लैक फंगस का संक्रमण फेफड़ों में पहुंच रहा है, 2-3 सर्जरी भी की जा चुकी है। एक केस आया है, जिनके पेट में समस्या थी। जिनकी इम्युनिटी कमजोर और डायबिटीक है उनके शरीर के किसी भी अंक तक फंगस पहुंच सकता है। ब्लड के माध्यम से फंगस फैलता है।