कांग्रेस पार्षद भी डायस के पास पहुंच गए और सभापति ने हाथ उठवाकर बहुमत के आधार पर सभा स्थगित कर आगामी तारीख 17 अगस्त तय की। यह सुनते ही भाजपा पार्षद भड़क गए और आसंदी के सामने नारेबाजी करते हुए विरोध दर्ज कराया। उनका कहना था कि जब सभा स्थगित करना था तो बुलाया ही क्यों? उन्होंने सभापति पर दबाव में निर्णय लेने का भी आरोप लगाया।
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4 माह बाद बैठक, 34 एजेंडों पर होनी थी चर्चा निगम की सामान्य सभा 4 महीने बाद सभापति दुबे ने शुक्रवार को बुलाई थी। प्रश्नकाल में शहर के ज्वलंत मुद्दों सहित 34 एजेंडों पर चर्चा होनी थी। सुबह 11 बजे तय समय पर सभी सदन में पहुंच गए। भाजपा पार्षद मटका और पोस्टर लेकर पहुंचे थे। पोस्टर में लिखा था- सड़कों को गड्ढा मुक्त करो, मटके पर पानी दो, अवैध चौपाटी बंद करो। परंतु कुछ ही देर में सभा स्थगित कर देने पर नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे, पूर्व नेता प्रतिपक्ष सूर्यकांत राठौर, उपनेता मनोज वर्मा, दल के प्रवक्ता मृत्युंजय दुबे सहित भाजपा पार्षदों ने शहर के ज्वलंत मुद्दों से घबराकर जहां महापौर एजाज ढेबर पर भागने का और सभापति पर पार्षदों का विश्वास खो देने का आरोप लगाया। इस दौरान दो भाजपा पार्षद अमर बंसल और रोहित साहू ने डायस के सामने मटके भी फोड़े। इसके बाद गांधी प्रतिमा के समक्ष धरने में बैठकर विरोध प्रदर्शन किया। यह भी पढ़ें
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संकल्प शिविर में जाने का था दबाव: मीनल निगम में नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे का कहना है कि कांग्रेसी महापौर पार्षदों को शहर की जनता जवाब देगी। हमारी पाटी शहर और आमजनता की समस्याओं का समाधान कराने की सीख देकर सदन में चर्चा के लिए भेजती है। कांग्रेस के महापौर घबराकर अपनी पार्टी के (Raipur hindi news) नेताओं की चाटुकारिता में लगे हैं। उनके लिए लोगों की समस्याएं मायने नहीं रखती। सभापति ने दबाव में आकर सभा स्थगित की है। क्योंकि कांग्रेस पार्षदों को पाटी के संकल्प शिविर में जाने का दबाव था। सभापति ने आसंदी की निष्पक्षता का विश्वास खोया है। उन्हें जनता के मुद्दों से लेना देना नहीं: मेयर महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि भाजपा पार्षद सदन चलने ही नहीं देना चाहते हैं। उनसे जनता के मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है। उनके अमर्यादित आचरण के कारण सदन स्थगित हुआ है। क्योंकि वे चर्चा करना ही नहीं चाहते हैं। डॉयस पर चढ़ना, मटकी फोड़ना, पोस्टर लेकर आना अनुचित है। जबकि उनके सभी सवालों का जवाब देने के लिए वे तैयार थे। सभापति ने ऐसी व्यवस्था भी दे दी थी।
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