चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में बुधवार को इस मामले की सुनवाई हुई। दरअसल, भीमा मंडावी हत्याकांड की राज्य सरकार ने न्यायिक जांच का निर्णय लिया था, वहीं केंद्र सरकार ने एनआईए को जांच का आदेश देते हुए अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना में एनआईए एक्ट और अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए राज्य सरकार से पुलिस जांच रोकने और मामले के दस्तावेज एनआईए को सौंपने को कहा था। एनआईए ने इसके बाद राज्य पुलिस की ओर से घटना से संबंधित जानकारी नही दिए जाने का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जांच से जुड़े सभी दस्तावेज एनआईए को वापस सौंपने का आदेश जारी किया था।
उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ शासन की ओर से हाईकोर्ट की डबल बेंच में रिट याचिका लगाई गई थी, जिस पर कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया है, जिसमें कोर्ट ने कहा है कि मामले की जांच एनआईए ही करेगी।
हाई कोर्ट के फैसले को राज्य सरकार SC में देगी चुनौती
हाईकोर्ट से राज्य सरकार की रिट पीटिशन खारिज होने के बाद सरकार अब डिवीजन बेंच के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा सुप्रीम कोर्ट में डिविजन बेंच के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर अपील करेंगे।
हाईकोर्ट से राज्य सरकार की रिट पीटिशन खारिज होने के बाद सरकार अब डिवीजन बेंच के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा सुप्रीम कोर्ट में डिविजन बेंच के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर अपील करेंगे।
बता दें कि दंतेवाड़ा में लोकसभा चुनाव 2019 के पहले ही नक्सलियों ने कुआंकोंडा थाना क्षेत्र के श्यामगिरी नकुलनार रोड पर बीजेपी के काफिले को निशाना बनाते हुए IED ब्लास्ट कर दिया था। इस हमले में बीजेपी विधायक भीमा मंडावी सहित उनके ड्राइवर और तीन पीएसओ की मौत हो गई थी।
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