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साइबर विशेषज्ञ मोहित साहू ने बताया, जागरूकता ही फर्जीवाड़े से बचा सकती है। ऐप डाउनलोड करने की बजाय वेबसाइट के सहारे अपना स्लॉट बुक कर सकते हैं। सुरक्षा के लिहाज ब्राउजर में यह वेबसाइट मोबाइल डाटा या घर के वाईफाई से उपयोग करके खोले। यदि कोई जल्दबाजी में इन फर्जी ऐप को डाउनलोड करने लगता है, वहीं फिशिंग का शिकार हो जाता है।यह भी पढ़ें: नई आफत: कोविशील्ड का लगाया डोज, लिंक से मिल रहा कोवैक्सीन का सर्टिफिकेट
मैसेज भी भेज रहे आरोपी
साइबर ठग मोबाइल फिशिंग ऐप बनाने के अलावा लोगों को ठगने के लिए उनके मोबाइल में मैसेज भेज रहे है। मैसेज में वैक्सीन स्लॉट बुक कराने के बारे में लिखा रहता है और उसके साथ लिंक अटैच किया जाता है। मोबाइल यूजर जैसे ही लिंक को क्लिक करता है, गूगल ओपन मार्केट से वो डाउनलोड हो जाता है और लिंक के जरिए सभी जानकारी साइबर ठग तक पहुंच जाती है।
फर्जी ऐप को प्रमोट करने पैसे भी खर्च कर रहे
साइबर विशेषज्ञ मोहित साहू के अनुसार गूगल में ठगी का मायाजाल फैलाने के लिए ठग 20 से 25 हजार रुपए खर्च करके फर्जी ऐप को प्रमोट करते हैं। यूजर जब भी ऐप से जुड़ी चीजें गूगल में डालता है, तो सबसे पहले प्रमोट किया हुआ ऐप यूजर को दिखाई देता है। सही होने के आश्वासन पर यूजर उसे डाउनलोड कर लेता है और अपनी पर्सनल जानकारी साइबर ठग को दे बैठता है।
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वेबसाइट से बुक करे स्लॉट
साइबर विशेषज्ञ मोहित साहू ने बताया, जागरूकता ही फर्जीवाड़े से बचा सकती है। ऐप डाउनलोड करने की बजाय वेबसाइट के सहारे अपना स्लॉट बुक कर सकते हैं। सुरक्षा के लिहाज ब्राउजर में यह वेबसाइट मोबाइल डाटा या घर के वाईफाई से उपयोग करके खोले।