scriptCoffee Cultivation in Chhattisgarh: नक्सलगढ़ में अब होगा कॉफ़ी उत्पादन, दुनिया भर में फैलेगी बस्तरिया कॉफी की महक | Bastariya coffee Cultivation in Chhattisgarh | Patrika News
रायपुर

Coffee Cultivation in Chhattisgarh: नक्सलगढ़ में अब होगा कॉफ़ी उत्पादन, दुनिया भर में फैलेगी बस्तरिया कॉफी की महक

Coffee Cultivation in Chhattisgarh: बस्तर की कोलेंग और दरभा की पहाडियों में कॉफी की बागवानी (Coffee Cultivation) के लिए फेमस हो चुकी हैं. कॉफी का क्वालिटी उत्पादन हासिल करने के लिए 70 से अधिक आदिवासी किसान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. इसी का नतीजा है कि साल 2021 में 20 एकड़ से शुरू हुई कॉफी की खेती आज 320 एकड़ के दायरा कवर कर चुकी है.

रायपुरNov 02, 2022 / 11:46 am

Sakshi Dewangan

cof.jpg

Coffee Cultivation in Chhattisgarh: भारत में कृषि क्षेत्र के विकास-विस्तार से कई ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में बदलाव आया है. देश के जिन इलाकों में कभी हिंसा, क्रांति और नक्सलियों का आंतक मंडराता रहता था. आज वहीं फल, फूल, सब्जी और अनाज की फसलें लहलहा रही है. छत्तीसगढ़ की नक्सली बेल्ट के नाम से बदनाम बस्तर और इसके नजदीकी इलाके भी कुछ ऐसे ही सकारात्मक बदलावों में ढल रहे हैं. आज बस्तर की कोलेंग और दरभा की पहाडियों में कॉफी की बागवानी (Coffee Cultivation) के लिए फेमस हो चुकी हैं. कॉफी का क्वालिटी उत्पादन हासिल करने के लिए 70 से अधिक आदिवासी किसान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. इसी का नतीजा है कि साल 2021 में 20 एकड़ से शुरू हुई कॉफी की खेती आज 320 एकड़ के दायरा कवर कर चुकी है.

संबंधित खबरें

https://twitter.com/bhupeshbaghel?ref_src=twsrc%5Etfw


आदिवासियों को मिला फायदा
छत्तीसगढ़ राज्य में बस्तर का नक्सली इलाका आज आदिवासियों की सफलता की गाथा लिख रहा है. यहां की डिलमिली, उरूगपाल एवं मुंडागढ़ की पहाड़ियां की जलवायु में कॉफी की कई दुर्लभ किस्में (Coffee in Bastar) उगाई जा रही हैं. इन्हें अब बस्तरिया कॉफी के नाम से जाना जाता है. बस्तर की इस नक्सली बेल्ट पर स्थित इलाके में कॉफी के साथ अंतरवर्तीय खेती और करीब 5 नकदी फसलें उगा जा रही हैं. इससे छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती और आदिवासियों को रोजगार मिल रहा है. इस तरह कभी धान का कटोरा नाम से मशहूर छत्तीसगढ़ राज्य अब बस्तरिया कॉफी (Bastariya Coffee) के फेमस होने के रास्ते पर चल रहा है.

 

coff.jpg


ऐसे तैयार होती है बस्तर की कॉफी
छत्तीसगढ़ के आदिवासी किसानों की आजीविका बढ़ाने में बस्तरिया कॉफी मील का पत्थर साबित होगी. बता दें कि यहां कॉफी की खेती के साथ-साथ उसकी प्रोसेसिंग भी की जाती है. इसके लिए सबसे पहले बागान से कॉफी की हार्वेटिंग करके बीजों को सुखाया जाता है. इसके बाद प्रोसेसिंग यूनिट में बीज को अलग करके बाद में भूल लिया जाता है. जब कॉफी पीने योग्य हो जाती है तो फिल्टर कॉफी के लिए पाउडर तैयार करते हैं. अब बस्तर की कॉफी सिर्फ एक फसल नहीं रही, बल्कि एक ब्रांड बनने की दौड़ में शामिल होने जा रही है. यहां कॉफी से तमाम उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं. कॉफी की खेती, प्रोसेसिंग और इससे जुड़े कामों में उद्यान विभाग और कृषि विभाग के अधिकारी भी किसानों की मदद करते हैं.

coffee.jpg


60 साल तक मिलेगा प्रॉडक्शन

आज बस्तर में कॉफी की खेती के अलावा आम, कटहल, सीताफल, काली मिर्च जैसी नकली फसलें भी उगाई जा रही है. यहां की जलवायु के मुताबिक कॉफी की खेती के लिए अरेबिका–सेमरेमन, चंद्रगरी, द्वार्फ, एस-8, एस-9 कॉफी रोबूस्टा- सी एक्स आर किस्मों को उगाया जा रहा है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, जल निकासी वाली मिट्टी और छायादार इलाकों में कॉफी के पौधे खूब पनपते हैं. एक बार पौधों की रोपाई करने के बाद 4 साल के अंदर फल उत्पादन मिलने लगता है. 18 से 35 पीएच मान तापमान में अगले 35 साल तक कॉफी के पौधों से फलों का प्रॉडक्शन ले सकते हैं. इन कॉफी के बागानों की सही देखभाल और अंतरवर्तीय खेती करके किसान अतिरिक्त आय भी ले सकते हैं.

Hindi News / Raipur / Coffee Cultivation in Chhattisgarh: नक्सलगढ़ में अब होगा कॉफ़ी उत्पादन, दुनिया भर में फैलेगी बस्तरिया कॉफी की महक

ट्रेंडिंग वीडियो