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पहला मामला लिलिचौक निवासी चैतन्य ठाकुर का है। चैतन्य एक फार्मा कंपनी में काम करते हैं। मंगलवार को उनके मोबाइल में एक मैसेज आया, जिसमें लिखा था कि केवायसी नहीं होने के कारण आपका पेटीएम बंद किया जा रहा है। मैसेज पढऩे के बाद चैतन्य ने उसमें दिए एक मोबाइल नंबर पर फोन किया। दूसरी ओर से कहा गया कि आपको पेटीएम के ब्रांच ऑफिस आने की जरूरत नहीं है। आपका का काम ऑनलाइन हो जाएगा।
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इसके लिए मोबाइल एप क्वीक सपोर्ट डाउनलोड कर लीजिए। इसके बाद चैतन्य ने गूगल के प्लेस्टोर से क्वीक सपोर्ट मोबाइल एप डाउन लोड कर लिया। इसके बाद उसने मोबाइल का दूसरा नंबर मांगा। फिर उसने मोबाइल एप ओपन करने के लिए कहा। चैतन्य ने अपने दूसरे मोबाइल पर एप ओपन किया। इसके बाद आरोपी ने कहा कि पेटीएम में ट्रांजेक्शन चेक करना है 100 रुपए भेजिए।
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चैतन्य ने जिस मोबाइल पर एप डाउनलोड किया था, उसी मोबाइल से नेटबैंकिंग के जरिए 100 उसे ट्रांसफर किए। इसके बाद आरोपी ने कहा कि अब डेबिट कार्ड को भी चेक करना है, उससे 1 रुपए भेजिए। चैतन्य उसे एक रुपए भी भेजा। इसके तत्काल बाद उनके मोबाइल में दो ओटीपी नंबर आए।
और दो बार 9999 रुपए का आहरण हो गया। इससे उन्हें शक हुआ। उन्होंने तत्काल बैंक अधिकारियों को फोन किया और अपना बैंक खाता, नेट बैकिंग व एटीएम कार्ड सभी ब्लॉक करवाए, तब तक दो ओटीपी नंबर और आ चुके थे। इस तरह करीब तीन मिनट के भीतर कुल 39 हजार 996 रुपए का आहरण हो गया था। इसकी शिकायत उन्होंने पुरानी बस्ती थाने में की। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
तो हो जाते 5 लाख साफ
पीडि़त चैतन्य ने बताया कि उनके खाते में करीब 5 लाख रुपए थे। अगर बैंक खाता, नेटबैंकिंग व अन्य चीजें तत्काल ब्लॉक नहीं करवाए होते, तो पूरी राशि साफ हो जाती है। इस लिए तत्काल सभी चीजें ब्लॉक करवाने के बाद बैंक और पुलिस से मामले की शिकायत की गई।
मोबाइल कर लिया था हैक
पुलिस के मुताबिक ठगों ने मोबाइल एप डाउनलोड कराकर चैतन्य के मोबाइल को हैक कर लिया था। इसके बाद उनके मोबाइल में जो भी हो रहा था, उसकी जानकारी ठग तक पहुंच रही थी। चैतन्य ने नेट बैकिंग के जरिए 100 रुपए और डेबिट कार्ड के जरिए 1 रुपए भेजा था।
इस दौरान उन्होंने मोबाइल में जो भी बैंक खाता नंबर, पासवर्ड डाला पूरी जानकारी ठग तक पहुंच रही थी। साथ ही साथ उनके मोबाइल में आए चार ओटीपी नंबर भी ठग को दिख रहे थे, इसलिए चैतन्य की ओर से ओटीपी नंबर नहीं बताने के बावजूद उनके खाते से राशि निकल गई।
पहला मामला
मोबाइल हैक करके ठगी करने का रायपुर में यह पहला मामला है। इससे पहले ओटीपी नंबर पूछकर या बैंक अधिकारी बनकर बैंक खाता और एटीएम की जानकारी ली जाती थी। मोबाइल एप डाउनलोड करवाकर हैक करने का यह पहला मामला है।
गूगल से लिए कस्टमर केयर नंबर में मिला ठग
पुरानी बस्ती इलाके में ठगी का दूसरे मामले में अश्वनी नगर निवासी धीरेंद्र कुमार ने जमैटो से ऑनलाइन खाना मंगवाया था। डिलीवरी बॉय खाना लेकर पहुंचा। जिस आइटम का आर्डर दिया था, उसके स्थान पर दूसरा दे दिया गया था। इस पर डिलीवरी बॉय से धीरेंद्र ने 20 रुपए वापस मांगा।
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उसने देने से इनकार कर दिया। इसके बाद धीरेंद्र ने गूगल से जमैटो का कस्टमर केयर नंबर ढूंढा। इसके बाद उसमें फोन किया। दूसरी ओर से उसे कहा गया कि आपके मोबाइल में एक लिंक भेजा गया है, उसमें जानकारी भरकर समिट कर दीजिए। आपका पैसा मिल जाएगा।
थोड़ी देर में धीरेंद्र के मोबाइल में एक लिंक आया। इसे खोलकर उसने बैंक खाता नंबर और यूपीआई नंबर डाला। कुछ देर बाद उसके खाते से 31 हजार रुपए पार हो गए। इसके बाद उसे ठगी का एहसास हुआ और उसने तत्काल बैंक और पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है।