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नियुक्ति के सम्बन्ध में मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी।फिलहाल कटरे की जॉइनिंग पर कोर्ट ने अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दिया है और बगैर हाईकोर्ट की अनुमति के कार्यभार ग्रहण न करने को कहा है। मामला अब और गर्म होता नजऱ आ रहा है।कटरे की नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया में दो फोटो तेजी से वायरल हो रहे हैं जिसमे इसे फर्जी भर्ती करार दिया जा रहा है।राशन कार्ड के लिए जान जोखिम में डाल रहे बस्तर के अबूझमाडिय़ा, जंगल में बीत रही रात
दरअसल सोशल मिडिया फेसबुक और व्हाट्सएप्प में हो रहे वायरल तस्वीर में हाजिरी रजिस्टर की फोटो है जिसमे से एक में कटरे का नाम नहीं है और एक 19 तारीख से हस्ताक्षर दिख रहा है। दस्तावेज यह बया कर रही है कि विवादास्पद संविदा अधिकारी विजेंद्र कटरे को 19 जुलाई को जॉइनिंग दिया गया है क्योंकि 19 जुलाई से ही उनके हस्ताक्षर इसमें दिख रहे हैं। चुकी 24 जुलाई को उच्च न्यायालय बिलासपुर ने विजेंद्र कटरे के जॉइनिंग पर रोक लगा दी थी। फोटो के साथ वायरल हो रहे मैसेज में यह भी लिखा गया है कि “इस रजिस्टर से ऐसा प्रतीत होता है कि उच्च न्यायालय बिलासपुर को ठेंगा दिखाने के लिए उसे (कटरे को ) बैक डेट में 19 जुलाई को जॉइनिंग दिलाई गई है”। असल में कटरे की नियुक्ति पर इतना बवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योकि वायरल हो रही तस्वीर में एक रजिस्टर की यह फोटो कॉपी यह प्रमाणित कर रही है कि उसमें क्रमांक 2 से 15 तक के नाम है और क्रमांक है लेकिन एक खाली छोड़ कर रखा गया है जिसे बाद में विजेंद्र कटरे (Vijendra Katre) का नाम लिखकर 19 जुलाई से जॉइनिंग बता दिया गया है।सूत्र यह भी बता रहे हैं विवादास्पद संविदा अधिकारी विजेंद्र कटरे 18 जुलाई से 20 जुलाई तक छत्तीसगढ़ में ही नहीं थे। लेकिन इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
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स्वास्थ्य मंत्री के साथ दिखे कटरेसंविदा अधिकारी विजेंद्र 27 जुलाई को एक कार्यक्रम में (CG health Minister) स्वास्थ्य मंत्री के साथ मंच साझा करते भी नजऱ आए।नियुक्ति को लेकर रायपुर के उचित शर्मा ने पहले भी आशंका जताई थी और 30 जुलाई को स्वास्थ्य विभाग में मामनीय कोर्ट के आदेश का परिपालन के लिए आवेदन भी दिया है।
इससे पहले याचिकाकर्ता उचित शर्मा ने कोर्ट को था कि किस तरह बिना एमबीबीएस (रूक्चक्चस्) की डिग्री के ही इस महत्वपूर्ण पद पर कटरे को मनमाने तरीके से नियुक्ति दे दी गई।वर्तमान स्थिति में कोर्ट ने कटरे को विशेष दस्ती नोटिस जारी किया है और शासन को तीन सप्ताह के भीतर मामले में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
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