गौरतलब है कि भगवान जगन्नाथ रथयात्रा से नौ दिनों तक अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर में रहते हैं। मौसी के घर भगवान को स्वादिष्ट पकवानों का भोग लगाया जा रहा है। इससे पहले जब भगवान अधिक स्नान करने की वजह से बीमार हो गए थे, जब उन्हें पथ्य का भोग लगाया जा रहा था। इधर, भक्त भी अपने भगवान के दर्शन को मौसी के घर पहुंचने लगे हैं। बता दें कि सालभर (cg news) यहां भले ही भक्तों का आना-जाना न हो, लेकिन रथयात्रा के बाद 9 दिन तक मौसी के घर ही भक्तों की सबसे ज्यादा भीड़ लगती है।
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इधर, 40 फीट की ऊंचाई से भगवान को चढ़ा 108 भोग इस्कॉन प्रीचिंग सेंटर ने बुधवार को सुंदर नगर के जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा निकाली। इसकी अगुवाई सेंटर के इंचार्ज तमाल कृष्ण दास ने की। इसमें रायपुर, जगदलपुर, दुर्ग, बिलासपुर से आए सैकड़ों भक्त शामिल थे। यात्रा के दौरान भागवत गीता भी बांटी जा रही थी। इस दौरान क्रेन की मदद से 40 फीट की ऊंचाई से 108 भोग का अर्पण किया गया। 108 दीपों की महाआरती की गई। खैरागढ़ से आए मनस्वी साहू, भूमिका साहा, कलाकार कत्थक और ओडिसा नृत्य की प्रस्तुति देशिवम शर्मा ने मनमोहक प्रस्तुति दी। शिवानी पटेल, दिशा परमार पूरे मार्ग में रंगोली बनाकर जगन्नाथ महाप्रभु के रथ का स्वागत करते रहे। अनुपम उद्यान के पास रायपुर पश्चिम (raipur news) के विधायक विकास उपाध्यक्ष भी शामिल हुए। जगन्नाथजी की आरती की। इस दौरान आनंद श्याम दास, वेदव्यास दास, संकीर्तन दास आदि मौजूद रहे।
भगवान को खोजते अब मौसी के घर पहुंचेंगी माता लक्ष्मी बता दें कि रथयात्रा के पांचवे दिन बड़ी ही दिलचस्प परंपरा निभाई जाएगी। मान्यताओं के मुताबिक ठीक होने के 5 दिन बाद भी जब भगवान श्रीमंदिर नहीं पहुंचते तो मां लक्ष्मी अपनी सखियों संग उन्हें खोजते हुए मौसी के घर पहुंचेंगी। यहां काफी निवेदन के बाद भी भगवान जब घर नहीं (rath yatra) पहुंचेंगे तो मां लक्ष्मी नाराज होकर उनका नंदीघोष रथ तोड़ देंगी। रायपुर में गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में इस परंपरा को काफी धूमधाम से मनाया जाता है।