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बहुत से जरूरतमंद अभिभावकों ने इस आस में अपने बच्चों के लिए सिंगल यूनिफॉर्म खरीदे कि बाद में पैसे आएंगे तो और ले लेंगे। लेकिन, दिसंबर का दूसरा हफ्ता बीतने को है और पैसे अब तक नहीं आए हैं। गौरतलब है कि आत्मानंद स्कूल में प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा आठवीं तक पढ़ने वाले बच्चों को सरकार की ओर से यूनिफॉर्म मुहैया कराने का प्रावधान है।
लेकिन, पूर्ववर्ती सरकार ने लंबे वक्त तक स्कूलों को रकम जारी नहीं की। बीते साल जिले में आत्मानंद स्कूलों को गणवेश के पैसे अगस्त-सितंबर तक दे दिए गए थे। लेकिन, इस बार साल खत्म होने को है। बच्चों को न यूनिफार्म मिले, न ही पैसे। बता दें कि रायपुर में 30 से ज्यादा इंग्लिश-हिंदी माध्यम स्कूल हैं। यहां प्री प्राइमरी से लेकर आठवीं तक 15,500 से ज्यादा बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
एक ही ड्रेस से बच्चे चला रहे काम
जरूरतमंद परिवार को भी क्वालिटी एजुकेशन मुहैया कराने के उद्देश्य से स्वामी आत्मानंद स्कूल योजना शुरू की गई थी। जाहिर है यहां पढ़ने वाले बहुत से बच्चों के परिवार की आर्थिक स्थिति भी उतनी बेहतर नहीं होगी। कई अभिभावकों ने मौजूदा जरूरत को ध्यान में रखते हुए बच्चों के लिए एक जोड़ी यूनिफॉर्म खरीदा था। उम्मीद थी कि बाद में तो बच्चों को यूनिफार्म या पैसे मिल ही जाएंगे। ऐसा कुछ नहीं हुआ। मजबूरन बच्चों को सिंगल ड्रेस से काम चलाना पड़ रहा है। 26 जनवरी नजदीक है। देखने वाली बात होगी कि लोकतंत्र के इस सबसे बड़े पर्व में बच्चों को साफ-सुथरी नई पोशाक मुहैया हो पाती है या नहीं?
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एक स्टूडेंट के लिए 2 ड्रेस के पैसे
सरकार स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय में एक स्टूडेंट के लिए 2 सेट यूनिफॉर्म खरीदने 540 रुपए देती है। बाजार में इतनी कीमत पर एक जोड़ी ड्रेस भी नहीं मिल पाता। लेकिन, योजना के तहत स्कूल शिक्षा विभाग ने यही दर तय की है। खादी ग्रामोद्योग को गणवेश तैयार कर सप्लाई करने कहा गया है। लेकिन, खादी ग्रामोद्योग ने स्वामी आत्मानंद स्कूलों में सप्लाई नहीं की। आत्मानंद स्कूलों के संस्था प्रमुखों के लिए भी इतनी कम कीमत पर दो यूनिफार्म उपलब्ध कराना संभव नहीं। इसके चलते पैसे सीधे बच्चों या उनके अभिभावकों के खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं, ताकि वे खुद ही यूनिफॉर्म खरीद लें।
सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक पढ़ने वाले बच्चों को यूनिफॉर्म शासन की ओर से मुहैया कराने का प्रावधान है। स्वामी आत्मानंद स्कूल के बच्चों को अब तक गणवेश नहीं मिल पाया है। शासन की ओर से ही राशि जारी नहीं की गई है।
– हिमांशु भारती, डीईओ, रायपुर